अयोध्या के राम मंदिर की दो खास मूर्तियां अभी भी हैं परदे में, ट्रस्ट की अगली बैठक में होगा बड़ा फैसला

Published : May 31, 2025, 10:58 AM ISTUpdated : May 31, 2025, 05:53 PM IST
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सार

Additional idols at ayodhya ram temple: राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब दो और मूर्तियां सामने आई हैं। ये मूर्तियां रामसेवक पुरम में सुरक्षित रखी गई हैं और इनका भविष्य ट्रस्ट की अगली बैठक में तय होगा।

unseen ram lalla idols: अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर का लोकार्पण 22 जनवरी 2024 को पूरे भारत की आस्था का उत्सव बनकर सामने आया। इसी दिन गर्भगृह में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा विधिपूर्वक सम्पन्न हुई। लेकिन इस भव्य अनुष्ठान की एक अनकही कहानी अब सामने आई है, एक निजी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार रामलला की दो और दिव्य मूर्तियां, जो समय से पहले तैयार थीं, आज भी मंदिर में अपनी प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा कर रही हैं।

किन कलाकारों ने गढ़ीं थीं ये अद्भुत मूर्तियां?

राम मंदिर निर्माण के दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देश के तीन प्रतिष्ठित मूर्तिकारों को एक समान प्रतिमा निर्माण का दायित्व सौंपा था।

  1. काले पत्थर की प्रतिमा - प्रसिद्ध मैसूर शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा निर्मित
  2. संगमरमर की प्रतिमा - राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे की शिल्पकला
  3. श्याम वर्ण प्रतिमा - बेंगलुरु के कलाकार जी. एल. भट्ट द्वारा निर्मित

तीनों मूर्तियां अयोध्या में ही तैयार की गईं और बाल रूप में श्रीराम को कमल दल पर खड़ा दर्शाया गया हाथों में धनुष-बाण के साथ।

रामसेवक पुरम में सुरक्षित हैं बाकी दो प्रतिमाएं

22 जनवरी को योगीराज द्वारा निर्मित काले पत्थर की प्रतिमा को गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया, लेकिन बाकी दो मूर्तियां संगमरमर और श्याम वर्ण की आज भी रामसेवक पुरम के एक सुरक्षित कक्ष में विराजमान हैं। इन मूर्तियों को न तो दर्शन का अवसर मिला, न ही मंदिर परिसर में कोई स्थान।

अगली ट्रस्ट बैठक में होगा निर्णय

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने स्पष्ट किया है कि इन प्रतिमाओं को लेकर अगली बैठक में विचार किया जाएगा। ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारी का भी मानना है कि ये सिर्फ मूर्तियां नहीं, श्रीराम के प्रतीक हैं, और इन्हें यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता। विचार किया जा रहा है कि मंदिर परिसर में एक अलग स्थान पर या किसी उपमंदिर में इन मूर्तियों की भी प्राण-प्रतिष्ठा की जाए। संभवतः भविष्य में इनका भी धार्मिक उपयोग निश्चित हो।

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