मौत के बाद भी होता रहा इलाज! हकीकत में बदल गई फिल्म की कहानी

Published : Feb 02, 2025, 02:02 PM ISTUpdated : Feb 02, 2025, 02:03 PM IST
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सार

बहराइच के एक अस्पताल में मृत मरीज का इलाज कर 9 लाख रुपये वसूलने का आरोप लगा है। परिजनों का कहना है कि मरीज पहले ही मर चुका था, लेकिन अस्पताल पैसे ऐंठता रहा। प्रशासन ने जांच का आश्वासन दिया है।

बहराइच। आपने अक्षय कुमार की फिल्म गब्बर इज़ बैक तो जरूर देखी होगी, जिसमें अस्पताल की लापरवाहियों को उजागर करने के लिए एक मरा हुआ व्यक्ति इलाज के लिए भर्ती किया जाता है। कुछ इसी फिल्म जैसी सच्चाई उत्तर प्रदेश के बहराइच में बिटाना एंड चंद्रावती अस्पताल में देखने को मिली! NBT द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में मरीज के मर जाने के बाद भी इलाज के नाम पर लाखों रुपये वसूले गए।

इलाज के नाम पर 9 लाख वसूले, फिर किया मृत घोषित

बहराइच-श्रावस्ती सीमा पर स्थित बिटाना एंड चंद्रावती अस्पताल में 11 दिन पहले एक दुर्घटना पीड़ित को भर्ती कराया गया था। इन 11 दिनों में अस्पताल ने इलाज के नाम पर 9,40,100 रुपये वसूल लिए, लेकिन इसके बावजूद मरीज की जान नहीं बच सकी। जब अस्पताल ने शव को ले जाने के लिए कहा, तो परिजन भड़क गए और अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे।

पत्नी का आरोप: पति पहले ही मर चुके थे, लेकिन हमसे पैसे ऐंठते रहे

मृतक की पत्नी रेशमा ने अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इलाज के दौरान हमें मरीज से मिलने नहीं दिया जाता था, जिससे संदेह है कि वह पहले ही मर चुके थे और अस्पताल वाले सिर्फ पैसे ऐंठते रहे। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि अस्पताल को तुरंत सीज किया जाए और जिम्मेदार डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

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प्रशासन का बयान: होगी जांच, अस्पताल पर कड़ी कार्रवाई संभव

घटना स्थल पर मौजूद उपजिलाधिकारी पूजा चौधरी ने कहा कि पीड़ित परिवार की शिकायत दर्ज कर ली गई है और जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी संजय शर्मा का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साफ हो जाएगा कि मरीज की मौत कितने पहले हुई थी।

सामाजिक संगठनों की मांग: अस्पताल को सीज कर डॉक्टरों पर हो आपराधिक केस

सामाजिक संस्था ‘देहात’ के कार्यकारी अधिकारी दिव्यांशु चतुर्वेदी ने इसे गंभीर आपराधिक कृत्य बताते हुए कहा कि इस मामले में सिर्फ अस्पताल को सीज करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि जिम्मेदार डॉक्टरों और प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।

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