Christmas : ये है देश का सबसे अनोखा चर्च, जिसकी दीवार देख हर भारतीय को होता गर्व

Published : Dec 23, 2025, 11:04 AM IST
Christmas 2025

सार

Christmas Special 2025 : भारत समेत पूरी दुनियाभर में 25 दिसंबर को क्रिसमस सेलिब्रेट किया जाएगा। इस बीच चर्चा बनारस के एक ऐसे चर्च की चर्चा है, जिसकी ब्रिटिश हुकूमत के दौर में नींव रखी गई थी। जिसमें गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिलती है। 

वाराणसी। 25 दिसंबर को पूरे देश में प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन पर क्रिसमस दिवस मनाया जाएगा। यह पर ईसाई धर्म के लिए सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। वाराणसी में भी इसका असर देखने को मिलेगा। वाराणसी के बाजार एवं चर्च इसको लेकर तैयारी में जुटे हुए हैं। वाराणसी के चर्च सेंट मेरिज में भव्य रूप से तैयारियों में जुटा हुआ है।

सेंट मेरिज गिरजाघर सभी धर्मों के लिए खास

वाराणसी के कैंटोनमेंट स्थित सेंट मेरिज गिरिजाघर वाराणसी ही नहीं पूर्वांचल का सबसे बड़ा गिरजाघर है यहां पर 25 - 27 दिसंबर तक भव्य आयोजन किया जाता है। जिसे देखने के लिए पूर्वांचल से लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। आपको बता दें कि, इस चर्च की स्थापना ब्रिटिश हुकूमत काल में हुई थी। जिसे समय-समय पर भव्य रूप दिया जा रहा है। यह गिरजाघर घर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल भी पेश करता नजर आ रहा है। इसके दीवारों पर गीता के संस्कृत के लिखे श्लोक मुख्य चर्चा का केंद्र रहते हैं। यहां हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग श्रद्धा के साथ पहुंचते हैं और प्रार्थना कर शांति का अनुभव करते हैं।

पूर्वांचल के सबसे बड़ा गिरजाघर

यह गिरजाघर पूरे पूर्वांचल में यह एकमात्र ऐसा माना जाता है, जिसके प्रार्थना कक्ष के भीतर संस्कृत भाषा में श्लोक अंकित है। यह श्लोक सार्वभौमिक भाईचारे, प्रेम और मानवता का संदेश देता है, जो इस महागिरजा को विशेष पहचान दिलाता है। यह संदेश इस बात का प्रतीक है कि आध्यात्मिक मूल्यों की भाषा किसी एक धर्म तक सीमित नहीं, बल्कि समूची मानवता को जोड़ने का कार्य करती है।

1840 में ब्रिटिश हुकूमत काल में रखी गई थी नींव

सेंट मेरिज चर्च के फादर ने बताया कि इस चर्च की आधारशिला अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1840 में रखी गई थी। यह गिरजाघर वाराणसी धर्मप्रांत द्वारा संचालित है। वर्ष 1970 में तत्कालीन बिशप पैट्रिक डिसूजा ने इसे भव्य स्वरूप प्रदान किया। इससे पूर्व यह बनारस-आगरा धर्मप्रांत के अंतर्गत आता था।

1993 में हुआ कायाकल्प

वर्ष 1989 में एक कुशल वास्तुविद् के निर्देशन में महागिरजा के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हुआ, जो 1993 में पूर्ण हुआ। इसके बाद गिरजाघर की भव्यता और सुंदरता ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बिशप डॉ. यूजीन जोसेफ ने बताया कि सेंट मेरिज महागिरजा दुनिया के खूबसूरत गिरजाघरों में शामिल है। वास्तुकला और सौंदर्य की दृष्टि से यह देश की शान है। गिरजाघर परिसर सभी धर्मों के बीच समन्वय, सहयोग और मानव सेवा के लिए सदैव खुला रहता है।

बाइबल प्रदर्शनी बनी मुख्य आकर्षण

गिरजाघर के बेसमेंट में स्थित बाइबल प्रदर्शनी यहां का प्रमुख आकर्षण है। सृष्टि की रचना से लेकर प्रभु यीशु मसीह के जन्म, जीवन, बलिदान और पुनरुत्थान तक की घटनाओं को सजीव झांकियों के माध्यम से दर्शाया गया है। आधुनिक तकनीक, प्रकाश और ध्वनि संयोजन से संचालित ये दृश्य श्रद्धालुओं को जीवंत अनुभव कराते हैं। सेंट मेरिज चर्च केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि मानवता, प्रेम और भाईचारे का जीवंत केंद्र है, जो काशी की साझा संस्कृति और धार्मिक सहिष्णुता को और अधिक मजबूत करता है।

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