
Beggars In Uttar Pradesh: जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष होता है, दो वक्त की रोटी जुटाना। लेकिन जब मेहनत-मजदूरी का कोई साधन ही न बचे, तो इंसान के पास भीख मांगने के अलावा विकल्प ही क्या रह जाता है? भारत में लाखों लोग इसी मजबूरी के चलते सड़कों और मंदिरों के बाहर कटोरी लेकर बैठते हैं। दिलचस्प बात यह है कि कुछ लोग इसे मजबूरी नहीं, बल्कि अपना स्थायी पेशा बना चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है, उत्तर प्रदेश का वह कौन सा शहर है जहां भिखारियों की संख्या सबसे ज्यादा है?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देशभर में करीब 4 लाख 13 हजार भिखारी हैं। इनमें से आधे से ज्यादा पुरुष हैं, जबकि लगभग दो लाख महिलाएं भी इस सूची में शामिल हैं। चिंताजनक बात यह है कि कई जगह छोटे बच्चों को भी भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है। आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल इस मामले में सबसे ऊपर है, जहां करीब 89 हजार भिखारी हैं। यह संख्या बाकी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है।
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अगर उत्तर प्रदेश पर नजर डालें तो यहां भी तस्वीर बहुत गंभीर है। राज्य में करीब 65 हजार भिखारी मौजूद हैं। इनमें सबसे ज्यादा भिखारी कानपुर जिले में पाए गए हैं। यहां के शहरी इलाकों में करीब 460 भिखारी रोजी-रोटी के लिए भीख पर निर्भर हैं। कानपुर के बाद आगरा और सहारनपुर का नाम आता है, जहां सौ से ज्यादा भिखारी दर्ज किए गए हैं। वहीं धार्मिक नगरी मथुरा और वृंदावन में तो हर गली-चौराहे और मंदिर के बाहर आपको बड़ी संख्या में भिखारी मिल जाएंगे।
आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के बाद आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान भी भिखारियों की बड़ी संख्या वाले राज्यों में शामिल हैं। दूसरी ओर, देश का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप इस मामले में सबसे नीचे है, जहां मात्र 2 भिखारी दर्ज किए गए हैं। वहीं चंडीगढ़ में केवल 121 भिखारी हैं।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि ये सभी आंकड़े 2011 की जनगणना पर आधारित हैं। यानी तब से अब तक तस्वीर और भी बदल चुकी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है।
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Disclaimer – इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न सामान्य स्रोतों और उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। इसकी पूर्ण प्रामाणिकता की गारंटी हमारी नहीं है। लेख में शामिल किसी भी एआई आधारित काल्पनिक चित्रण को वास्तविकता से हूबहू मेल खाने का दावा या पुष्टि नहीं किया जाता।
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