शर्मनाक: मौलाना ने 11 साल की बालिका से मस्जिद में किया दुष्कर्म, उर्दू पढ़ने जाती थी

हमीरपुर में मौलाना ने मस्जिद में एक शर्मनाक हरकत की है। मौलाना ने मस्जिद में पढ़ने गई 11 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया है। 

Yatish Srivastava | Published : Nov 29, 2023 4:19 PM IST

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से बेहद शर्मनाक करने वाली घटना सामने आई है। कुरारा इलाके स्थित एक गांव में मौलाना ने उर्दू शिक्षा देने के बहाने मस्जिद के अंदर ही 11 साल की एक बालिका से दुष्कर्म किया। मौलाना चार-पांच साल पहले ही बिहार से यहां आया था। गांव के लोगों ने मौलाना को उर्दू शिक्षा देने के लिए मस्जिद में रखा था। 

उर्दू पढ़ने आई बालिका से मौलाना ने किया रेप
कुरारा थाना क्षेत्र स्थित गांव से इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला आया है। मस्जिद जैसी पाक जगह पर 11 साल की बालिका से दुष्कर्म किया गया है। ये दरिंदगी करने वाला भी और कोई नहीं मस्जिद का ही मौलाना है। मस्जिद में बालिका उर्दू की तालीम लेने आई थी। इस दौरान आरोपी ने उसे अपना शिकार बना लिया। बालिका ने घर आकर आपबीती बताई तो चाचा ने आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने आरोपी मौलाना को गिरफ्तार कर लिया है। 

मस्जिद के कमरे में ले जाकर की वारदात
पीड़िता बुधवार सुबह 7 बजे घर से मस्जिद में उर्दू पढ़ने गई थी। वहां मस्जिद के मौलाना मुंतज़िर आलम निवासी पूनिया जिला बिहार उसे बहला फुसलाकर मस्जिद के कमरे में ले गया। वहां मौलाना ने बालिका के साथ डरा-धमका कर दुष्कर्म किया और किसी को कुछ बताने पर जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता के चाचा ने बताया कि भतीजी अपने 10 वर्षीय भाई के साथ मस्जिद गई थी। मौलाना ने भाई को बाहर पढ़ने बैठा दिया और बालिका को कमरे में ले गया था। 

घर लौटकर पीड़िता ने बताई आपबीती
इसके बाद जब बालिका घर वापस लौटी तो उसकी हालत देख घर वाले परेशान हो गए। बालिका ने मस्जिद में उसके साथ की गई दरिंदगी के बारे में अपनी मां को बताया। इस पर पीड़िता के चाचा की तहरीर पर पुलिस ने मौलाना के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। आरोपी के खिलाफ पाक्सो एक्ट के तहत दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया गया है।

पांच साल पहले बिहार से आया था गांव
ग्रामीणों के मुताबिक आरोपी मौलाना चार-पांच साल पहले ही बिहार से मस्जिद में आया था। यहां वह मुस्लिम समाज के बच्चों को शिक्षा देता था। गांव में रहने वालों की रजामंदी पर उसे मस्जिद में पढ़ाने के लिए 30 हजार रुपये महीने के खर्च पर रखा गया था।

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