Gyanvapi case: ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। हिंदू पक्ष की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पूरे परिसर के एएसआई सर्वे की मांग की गई थी। हिंदू पक्षकारों की ओर से याचिका में यह तर्क दिया गया था कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे भगवान विशेश्वर का 100 फीट का विशाल शिवलिंग और अरघा स्थित है। इसका पेनिट्रेटिंग रडार की मदद से एएसआई सर्वे होना चाहिए। हिंदू पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ने याचिका दायर की थी। एडवोकेट रस्तोगी ने कहा कि वह लोग ऑर्डर की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद फैसले की चुनौती हाईकोर्ट में की जाएगी।
हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि वे लोग निचली अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि हमें कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार है। इसके बाद वह लोग हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि पिछला एएसआई सर्वे अधूरा था। जिस क्षेत्र में शिवलिंग होने का दावा हिंदू पक्ष कर रहा है, उस क्षेत्र का सर्वे पिछली बार नहीं किया गया था। हिंदू पक्ष ने मांग किया है कि पूरे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वेक्षण कराए जाने की आवश्यकता है। हालांकि, इस याचिका का अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने विरोध किया। कमेटी का दावा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही हस्तक्षेप कर चुका है। दोनों कोर्ट्स ने साइट की किसी भी खुदाई कराने से इनकार कर दिया था।
वाराणसी कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए 19 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। 25 अक्टूबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पूरे कैंपस का एएसआई सर्वे कराने से इनकार किया है। इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज सीनियर डिवीजन युगुल शंभू ने किया।
यह भी पढ़ें:
वंदे भारत स्लीपर: राजधानी एक्सप्रेस से आगे, क्या है खास? यह है टॉप 10 खूबियां