महाकुंभ के बाद कहां चले जाते हैं नागा साधु, क्या है साधुओं की रहस्यमयी दुनिया?
नागा साधु कुंभ के सबसे पहले शाही स्नान में भाग लेते हैं। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान होता है। शाही स्नान में पहले केवल नागा साधु ही गंगा में डुबकी लगाते हैं। उनके शरीर पर भस्म और रुद्राक्ष की माला होती है, जो उन्हें अन्य साधुओं से अलग पहचान देती है।
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दिगम्बर स्वरूप में वापस जाते हैं आश्रम
कुंभ के बाद नागा साधु दिगम्बर यानी निर्वस्त्र रूप से आश्रम लौट जाते हैं। समाज में दिगम्बर स्वरूप स्वीकार्य नहीं होता, इसलिए वे गमछा पहनकर अपने आश्रमों में निवास करते हैं। दिगम्बर का अर्थ है – पृथ्वी उनका बिछौना और आकाश उनका ओढ़ना।
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तपस्या के लिए हिमालय की ओर जाते हैं नागा साधु
कुंभ की समाप्ति के बाद कई नागा साधु हिमालय और अन्य एकांत स्थानों की ओर रवाना हो जाते हैं। यहां वे कठोर तपस्या करते हैं और फल-फूल खाकर जीवन निर्वाह करते हैं। उनकी तपस्वी जीवनशैली का उद्देश्य आत्मसाक्षात्कार और आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है।
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तीर्थ स्थानों पर निवास करते हैं नागा साधु
कुछ नागा साधु कुंभ के बाद प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों पर भी निवास करते हैं। प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, और उज्जैन जैसे स्थानों पर इनका बसेरा होता है, जहां वे धार्मिक साधनाओं में लीन रहते हैं।
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महाकुंभ के बाद धार्मिक यात्रा करते हैं नागा साधु
नागा साधु धार्मिक यात्रा पर भी निकलते हैं। वे विभिन्न तीर्थ स्थलों का दौरा करते हैं और अपने ज्ञान व साधना के माध्यम से समाज को धार्मिक शिक्षा देते हैं। इन यात्रा के दौरान वे सच्चाई और मुक्ति की तलाश में होते हैं।