महाकुंभ से निकला 14 हजार मीट्रिक टन कूड़ा! सरकार ने इतने वेस्ट का क्या किया? हैरान रह जाएंगे आप!

Published : Feb 22, 2025, 09:41 AM IST
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सार

Prayagraj mahakumbh 2025: लाखों श्रद्धालुओं के महाकुंभ में, टनों कचरा रोज़ निकलता है। लेकिन इस बार योगी सरकार के खास इंतज़ामों से स्वच्छता बनी हुई है। १४ हज़ार मीट्रिक टन कचरे का अब तक निस्तारण हो चुका है।

Mahakumbh Waste Management: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में हर दिन लाखों श्रद्धालु आ रहे हैं, संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, और भंडारों में प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस महायज्ञ के बाद पीछे क्या छूटता है? जी हां, हर दिन टनों कूड़ा! लेकिन इस बार योगी सरकार के कुशल प्रबंधन के चलते स्वच्छ महाकुंभ का सपना साकार हो रहा है। अब तक 14 हजार मीट्रिक टन सॉलिड वेस्ट का निस्तारण किया जा चुका है। आखिर कैसे? चलिए जानते हैं...

व्यापक सैनिटेशन प्लान से कचरे का प्रबंधन

महाकुंभ में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत सैनिटेशन प्लान पहले ही तैयार किया गया था। स्वच्छता प्रमुख (विशेष कार्याधिकारी) आकांक्षा राणा ने बताया कि श्रद्धालु आमतौर पर स्नान के बाद अपने वस्त्र घाट पर ही छोड़ देते हैं, साथ ही भंडारे और फूड जोन के कारण भी भारी मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है। ऐसे में, प्रतिदिन सफाई बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।

महाकुंभ क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए 120 टिप्पर्स और कॉम्पैक्टर्स की खरीद की गई है। इसके अलावा, 25,000 डस्टबिन पूरे मेले में हर 50 मीटर की दूरी पर लगाए गए हैं। इन डस्टबिन्स में लाइनर बैग का उपयोग किया जाता है, जिन्हें दिन में तीन बार बदला जाता है।

कचरे को इकट्ठा कर ट्रांसफर स्टेशनों तक पहुंचाया जाता है, जहां इसे विशेष मशीनों की सहायता से संपीड़ित किया जाता है और फिर नगर निगम द्वारा संचालित वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में भेज दिया जाता है।

बसवार ट्रीटमेंट प्लांट में वेस्ट प्रोसेसिंग

अब तक महाकुंभ क्षेत्र से 14 हजार मीट्रिक टन से अधिक ठोस कचरे को इकट्ठा कर बसवार ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जा चुका है। 2019 के महाकुंभ में यह मात्रा मात्र 9 हजार मीट्रिक टन थी। इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि कुल 20 हजार मीट्रिक टन से अधिक सॉलिड वेस्ट जेनरेट होगा।

महाकुंभ में सफाई व्यवस्था को डिजिटल तकनीक से भी जोड़ा गया है। अत्याधुनिक आईसीटी (इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) आधारित निगरानी प्रणाली को मोबाइल ऐप के जरिए रीयल-टाइम ट्रैकिंग से जोड़ा गया है। इस ऐप के माध्यम से सभी सार्वजनिक शौचालयों की सफाई पर नज़र रखी जा रही है।

इसके अलावा, स्वच्छता स्वयंसेवकों को एक क्यूआर कोड स्कैन करने की प्रक्रिया में शामिल किया गया है, जिसके माध्यम से वे सफाई से जुड़ी रिपोर्ट को अपलोड करते हैं और कंट्रोल रूम द्वारा आवश्यक कदम तुरंत उठाए जाते हैं।

मॉडिफाइड एडवांस ऑक्सिडेशन तकनीक से स्वच्छता सुनिश्चित

प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने महाकुंभ क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए 5 करोड़ रुपये मूल्य की पर्यावरण अनुकूल वस्तुएं वितरित की हैं। इनमें दोना-पत्तल, कुल्हड़, जूट के थैले और कागज के गिलास शामिल हैं। इसके अलावा, बैनर और होर्डिंग्स को प्लास्टिक मुक्त ब्रांडिंग से बदला जा रहा है।

मेला क्षेत्र की सफाई और हाइजीन को मेंटेन करने के लिए मॉडिफाइड एडवांस ऑक्सिडेशन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो एक गंधरहित प्रबंधन प्रक्रिया है। इसके अतिरिक्त, स्वच्छता बनाए रखने के लिए भारी मात्रा में क्लीनिंग एजेंट्स का भी उपयोग किया जा रहा है:

  • 39 हजार किलोग्राम मैलेथियन डस्ट
  • 70 हजार लीटर फिनाइल कॉन्सन्ट्रेट
  • 1,600 किलोग्राम नेप्थलीन बॉल्स
  • 3.5 लाख किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर
  • 70.8 हजार लीटर से अधिक हार्पिक और एसिड
  • गंध नियंत्रण के लिए 95.85 लीटर सॉल्यूशन

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