
Kalimullah Khan mangoes: लखनऊ से कुछ ही दूरी पर स्थित मलिहाबाद के कलीमुल्लाह खान, जिन्हें ‘मैंगो मैन’ के नाम से जाना जाता है, आम के बगीचों में एक नई क्रांति के प्रतीक बन चुके हैं। कलीमुल्लाह के नाम न केवल दर्जनों अनोखी आम की किस्में हैं, बल्कि एक ऐसा अद्भुत रिकॉर्ड भी है जिसमें एक ही पेड़ पर 300 अलग-अलग प्रजातियों के आम उगाए गए हैं। हर साल वो न केवल नई प्रजातियाँ विकसित करते हैं, बल्कि इनकी एक विशेष पहचान भी देते हैं, जिससे हर आम का स्वाद और आकार कुछ खास होता है।
कलीमुल्लाह की बगिया में ऐसा आम का पेड़ है, जो सिर्फ लखनऊ में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ही पेड़ पर विविध किस्मों के आम जैसे- केसर, दशहरी, तोतापरी और अल्फांसो का एक साथ उगना, इस प्रयोग को एक अनोखी उपलब्धि बना देता है। इस प्रयोग की शुरुआत उस वक्त हुई थी, जब कलीमुल्लाह ने 15 साल की उम्र में अपने दोस्त के बगीचे में क्रॉस ब्रीडिंग द्वारा गुलाब के फूलों के प्रयोग को देखा। यहीं से आम की नई किस्मों को विकसित करने का ख्वाहिश पैदा हुई।
कलीमुल्लाह के द्वारा विकसित की गई कई किस्मों के आमों के नाम देश की नामचीन शख्सियतों से प्रेरित हैं। जैसे योगी आम, सोनिया आम और ऐश्वर्य आम के साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित आम की एक नई किस्म 'नमो' भी विकसित की है। यह उनकी रचनात्मकता और आम के प्रति उनकी दीवानगी का बयां करती है।
कलीमुल्लाह का मानना है कि जैसे दो इंसान मिलकर एक नया इंसान पैदा करते हैं, ठीक उसी तरह दो तरह के आम की किस्में मिलकर एक नई किस्म को जन्म देती हैं। उनके इस प्रयोग ने न केवल आम की खेती को एक नई दिशा दी है, बल्कि इसे एक कला के रूप में भी लोगों के बीच स्थापित किया है।
आज भी कलीमुल्लाह के प्रयोग जारी हैं। उन्होंने आम की 700 किस्में विकसित की हैं और हर साल नई किस्मों के साथ लोगों को हैरान करते हैं। उनकी यह यात्रा न केवल आम के किसानों के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि हर किसी के लिए यह संदेश भी है कि अगर दिल में जुनून हो, तो कुछ भी असंभव नहीं होता।
कलीमुल्लाह खान के द्वारा किए गए प्रयासों को देशभर में सराहा गया है। उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है और उनकी उपलब्धियों को हर जगह माना गया है। उनकी सफलता की कहानी यह सिद्ध करती है कि अगर किसी काम में सच्ची मेहनत और प्रेम हो, तो वो अपनी मिसाल खुद बना लेता है।
आज भी कलीमुल्लाह के बगीचे में जाकर हर कोई उन्हें आम के प्रयोगों का गुरु मानता है और उनसे सीखने की कोशिश करता है। उनके द्वारा विकसित की गई हर नई किस्म आम का अपने आप में एक अद्भुत अनुभव होता है, और उनकी मेहनत हर आम में झलकती है।
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