
MP police s*x workers policy: "वो गुनहगार नहीं... हालातों की शिकार हैं!" मध्य प्रदेश पुलिस ने इंसानियत और संवेदनशीलता का ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो पूरे देश में एक नई सोच की शुरुआत कर सकता है। ढाबों, होटलों या अन्य जगहों पर छापेमारी के दौरान पकड़ी जाने वाली महिला सेक्स वर्कर्स को अब कानून के कटघरे में नहीं, इंसानियत की नज़रों से देखा जाएगा।
प्रदेश के पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में बड़ा आदेश जारी करते हुए सभी ज़िलों के पुलिस अधीक्षकों और भोपाल एवं इंदौर के पुलिस आयुक्तों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं – अब कोई भी महिला सेक्स वर्कर आरोपी नहीं मानी जाएगी। न गिरफ्तारी होगी, न पूछताछ की आड़ में कोई उत्पीड़न।
स्पेशल डीजी महिला सुरक्षा, प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव की ओर से जारी निर्देशों में साफ कहा गया है कि सेक्स वर्क में लिप्त महिलाएं अकसर खुद शोषण और मजबूरी की शिकार होती हैं। ऐसे में उन्हें आरोपी बनाकर और अधिक पीड़ा देना गलत है। अब पुलिस को ऐसे मामलों में इन महिलाओं को अपराधी नहीं, बल्कि पीड़ित और सहानुभूति की पात्र समझना होगा। पुलिसकर्मियों को संवेदनशील रवैया अपनाने और उनकी गरिमा का सम्मान बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि मध्य प्रदेश पुलिस अब महिला सेक्स वर्कर्स के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना चाहती है। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक सकारात्मक शुरुआत मानी जा रही है। पुलिस विभाग का यह निर्णय न सिर्फ प्रशासनिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी सराहनीय है।
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