'ये अस्पताल है कि पोस्टमार्टम...' SRN हॉस्पिटल को लेकर हाईकोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी? जानें वजह

Published : May 25, 2025, 07:01 AM ISTUpdated : May 25, 2025, 07:02 AM IST
Allahabad High Court SRN Hospital

सार

प्रयागराज के सरकारी अस्पताल अब इलाज नहीं, दलालों और माफियाओं का अड्डा बन चुके हैं! हाईकोर्ट ने कहा – शवगृह बन चुका एसआरएन, महाकुंभ में भगवान भरोसे चल रहा था सिस्टम! क्या मेडिकल माफियाओं के साथ मिलीभगत में फंसी है सरकार?

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज की मेडिकल व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि एसआरएन अस्पताल की हालत इतनी खराब है कि इसे अस्पताल कहना भी गुनाह है। कोर्ट ने इसे "शवगृह" की संज्ञा दी और निजी मेडिकल माफियाओं को इस गिरावट का जिम्मेदार ठहराया।

 गरीब मरीजों को जबरन खींचा जा रहा निजी अस्पतालों की ओर

हाईकोर्ट ने कहा कि प्रयागराज में सक्रिय मेडिकल माफिया गरीब और असहाय मरीजों को अस्पताल में मौजूद दलालों के जरिए निजी अस्पतालों में भेज रहे हैं। एसआरएन जैसे सरकारी अस्पतालों में इलाज ठप है और मरीज भटकते फिर रहे हैं।

जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा: ओपीडी में डॉक्टर नदारद, सुविधाएं भी लचर

न्यायालय द्वारा नियुक्त दो न्यायमित्रों की रिपोर्ट ने सरकारी अस्पताल की कड़वी सच्चाई सामने रख दी। रिपोर्ट में बताया गया कि ओपीडी में डॉक्टरों की भारी कमी है, उपकरणों की स्थिति बदहाल है और मरीजों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं।

महाकुंभ में 66 करोड़ श्रद्धालु, फिर भी मेडिकल सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त

हाईकोर्ट ने कहा कि जनवरी-फरवरी 2025 में हुए महाकुंभ के दौरान शहर की चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही थी। अनुमानित 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं की मौजूदगी में, अगर कोई बड़ा हादसा होता, तो इलाज के नाम पर कुछ नहीं होता।

प्रयागराज बनाम अन्य शहर: यूपी सरकार की प्राथमिकता पर सवाल

राज्य सरकार द्वारा कोर्ट में दायर हलफनामे में सामने आया कि लखनऊ, गोरखपुर और कानपुर जैसे शहरों में 2000 से अधिक बेड की व्यवस्था है, जबकि प्रयागराज में महज 1750। यह तब है जब प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला आयोजित होता है।

हाईकोर्ट का शक: क्या अस्पताल प्रशासन और माफियाओं में सांठगांठ है?

कोर्ट ने टिप्पणी की कि एसआरएन अस्पताल के अधिकारी और कर्मचारी निजी मेडिकल माफियाओं से मिले हुए प्रतीत होते हैं, जिससे पूरा ढांचा पंगु बन चुका है। यह एक गहरी साजिश का संकेत हो सकता है।

 "जनप्रतिनिधि कर रहे हैं आंख मूंदकर नजरअंदाजी"

हाईकोर्ट ने प्रयागराज से संसद और विधानसभा में चुने गए नेताओं पर भी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने कहा कि ना तो मंत्री और ना ही विधायक शहर की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था में कोई रुचि ले रहे हैं।

सख्त आदेश: अब निगरानी होगी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर

हाईकोर्ट ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर नजर रखने के लिए एक निगरानी टीम गठित करें। इस टीम को प्रोफेसर, रीडर, और लेक्चरर की गतिविधियों पर विशेष ध्यान देना होगा। हालांकि हाईकोर्ट के सख्त आदेश का असर होते दिखा। शनिवार शाम छह बजे के आस पास प्रयागराज के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ ने एसआरएन अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। जिसमें ड्यूटी चार्ट गायब से लेकर सीसीटीवी कैमरे तक बंद पाए गए। ड्यूटी से डॉक्टर नदारद दिखे। पानी के लिए तीमारदार भटकते नजर आए। मंडल के इस सबसे बड़े लेकिन बदहाल हॉस्पिटल में अव्यवस्था का आलम देख खुद डीएम का सिर चकरा गया। उन्होंने प्रचार्य और उपप्राचार्य को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

अगली सुनवाई पर टिकी हैं उम्मीदें: 29 मई को फिर होगी सुनवाई

हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव को आदेश दिया है कि इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाए और जरूरी हो तो इस पर कैबिनेट स्तर पर विचार हो। मामले की अगली सुनवाई 29 मई 2025 को निर्धारित की गई है।

 

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