
प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर, जहां संगम तट पर लाखों श्रद्धालु पुण्य लाभ अर्जित करने पहुंचे हैं, वहीं आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर एक अनूठी साधना का दृश्य देखने को मिला। नागवासुकी मंदिर, बजरंग दास मार्ग, सेक्टर छह स्थित आश्रम में मौनी महाराज ने शुक्रवार को 3 घंटे की भू समाधि ली। यह समाधि उन्होंने महाकुंभ मेले की शांति और हाल ही में भगदड़ में घायल श्रद्धालुओं की आत्मिक शांति के लिए ली।
मूल रूप से अमेठी के निवासी मौनी महाराज महाकुंभ की शुरुआत से ही रुद्राक्ष यज्ञ कर रहे हैं। उनके शिष्य दिव्यांशु मुनी ने बताया कि यह महाराज की 57वीं भू समाधि थी। इस दौरान वे 10 फीट गहरे गड्ढे में ध्यानमग्न हो गए। समाधि प्रक्रिया के दौरान गड्ढे को लोहे की टिन की चादर से ढका गया, फिर पॉलीथिन बिछाकर रेत डाल दी गई और अंत में दीप जलाकर अनुष्ठान पूरा किया गया।
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मौनी अमावस्या की रात संगम तट पर भगदड़ की घटना के बाद मौनी महाराज ने अपनी चक्रवर्ती दंडवत परिक्रमा स्थगित कर दी थी। इस हादसे से दुखी होकर उन्होंने घायल श्रद्धालुओं की शांति और कल्याण के लिए तपस्या करने का निर्णय लिया।
शिष्य दिव्यांशु मुनी के अनुसार, रात 10 बजे मौनी महाराज समाधि से बाहर आए। इस दौरान श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आश्रम में उपस्थित रहें।
महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालु जुट रहे हैं, लेकिन भगदड़ जैसी घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं। ऐसे में मौनी महाराज की यह आध्यात्मिक साधना श्रद्धालुओं को शक्ति और शांति प्रदान करने का एक प्रयास है। उनका मानना है कि तप और साधना से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और महाकुंभ का माहौल शांतिपूर्ण बना रहता है।
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