
Mahakumbh 2025 sanitation issues: महाकुंभ 2025 की तैयारियों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में दाखिल एक याचिका में यूपी सरकार पर 10 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाने की मांग की गई है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रयागराज में श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त बायो-टॉयलेट्स नहीं हैं, जिससे लोग मजबूरी में गंगा किनारे खुले में शौच कर रहे हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान NGT ने यूपी सरकार से कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि स्वच्छता व्यवस्था बनाए रखना आपकी जिम्मेदारी है, इस पर तुरंत ध्यान दें। हालांकि, अब तक यूपी सरकार की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है, जिसके चलते ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला फिलहाल सुरक्षित रख लिया है।
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इस मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हमारी ओर से पहले से ही व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) ने भी यह दलील दी कि सरकार स्वच्छता व्यवस्था के लिए जरूरी कदम उठा रही है।
याचिकाकर्ताओं ने NGT में दावा किया कि सरकार ने महाकुंभ क्षेत्र में ह्युमन वेस्ट के निपटारे के लिए बायो-टॉयलेट्स लगाने का दावा किया है, लेकिन उनकी संख्या और साफ-सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसी वजह से श्रद्धालु गंगा नदी के किनारे खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि लाखों श्रद्धालु महाकुंभ में आते हैं, लेकिन पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएं नहीं होने के कारण वे खुले में शौच करने पर मजबूर हैं। इसके समाधान के लिए बायो-टॉयलेट्स की संख्या बढ़ाने और उनकी सफाई सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इस लापरवाही के लिए यूपी सरकार पर 10 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाने की भी मांग की गई है।
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