
सूर्य प्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट (ASIANET HINDI EXCLUSIVE ) | संगम की रेती पर, जहां करोड़ों श्रद्धालु महाकुंभ के अवसर पर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, वहीं एशियानेट न्यूज के संवाददाता ने पुरी पीठाधीश्वर और जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से एक खास मुलाकात की। इस इंटरव्यू में स्वामी जी ने धर्म का राजनीतिकरण, धर्मनिरपेक्षता, और धार्मिक नेताओं की राजनीति में भूमिका पर गहरी और स्पष्ट बात की। उन्होंने यह भी बताया कि धर्म का मूल उद्देश्य सिर्फ आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और जीवन के हर पहलू में संतुलन बनाए रखने का मार्गदर्शन देता है। आइए जानते हैं कि स्वामी जी ने इन मुद्दों पर क्या कहा
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने धर्म का राजनीतिकरण करने की कोशिशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि धर्म का असली उद्देश्य राजनीति से ऊपर होता है। उन्होंने राजनीतिज्ञों के प्रयासों पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "धर्म का राजनीतिकरण समाज की भलाई के लिए नहीं बल्कि सत्ता के स्वार्थ के लिए किया जा रहा है।" उनका मानना है कि धार्मिक नेताओं को राजनीति से दूर रहकर सिर्फ आध्यात्मिक मार्गदर्शन देना चाहिए, ताकि समाज को सही दिशा मिल सके।
यह भी पढ़ें : उपराष्ट्रपति धनखड़ ने महाकुंभ में लगाई आस्था की डुबकी, कहा- जीवन धन्य हुआ
जब स्वामी जी से धर्मनिरपेक्षता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसे एक भ्रमात्मक अवधारणा बताया। उनका कहना था, "धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा विचार है, जो समाज के वास्तविक तत्वों को नजरअंदाज करता है। जैसे शरीर में अंगों की ऊंच-नीच होती है, वैसे ही समाज में भी विभाजन है। यह विभाजन प्राकृतिक है और अगर इसे मिटा दिया जाए तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा।"
महिलाओं के सशक्तिकरण के विषय पर स्वामी जी ने भारतीय संस्कृति की प्रशंसा की, जिसमें नारी को हमेशा सम्मान और पूजा गया है। उन्होंने कहा, "भारत की संस्कृति में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा गया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और भगवती दुर्गा इसके उदाहरण हैं। धर्म और संस्कृति महिलाओं की शक्ति, सम्मान और सुरक्षा की रक्षा करते हैं।"
धर्मांतरण को लेकर स्वामी जी का कहना था, "धर्मांतरण का अर्थ है अपने मूल धर्म से स्खलन करना। यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी गलत है। धर्म परिवर्तन के कारण व्यक्ति अपनी जड़ों से कट जाता है, और इस कारण वह अपनी असली पहचान खो बैठता है।"
स्वामी जी ने पर्यावरण संरक्षण को धर्म का ही हिस्सा बताया और कहा, "धर्म हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की शिक्षा देता है। पंचमहाभूतों की शुद्धता बनाए रखना ही धर्म का एक अहम हिस्सा है।"
कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की मृत्यु पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रशासन की व्यवस्था पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "श्रद्धालुओं की आस्था बहुत गहरी है और वे जीवन-मरण की चिंता किए बिना कुंभ में आते हैं, लेकिन प्रशासन को चाहिए कि वे बेहतर भीड़ नियंत्रण व्यवस्था करें ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।"
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने इस बातचीत के माध्यम से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला और यह स्पष्ट किया कि धर्म का उद्देश्य केवल आस्था और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के हर पहलू में संतुलन बनाए रखने का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
यह भी पढ़ें : बसंत पंचमी पर होगा महाकुंभ 2025 का तीसरा अमृत स्नान, जानें दिन भर के शुभ मुहूर्त
उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।