एक चिता पर पति-पत्नी का अंतिम संस्कार, बिजनौर की खबर ने हर किसी को रुलाया

Published : Apr 18, 2025, 09:37 AM ISTUpdated : Apr 18, 2025, 09:51 AM IST
Bijnor emotional couple death

सार

UP के बिजनौर में पति की मौत का सदमा पत्नी सह न सकी, खा लिया जहर और एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार हुआ। गांव में पसरा मातम, हर आंख हुई नम। पढ़िए पूरा इमोशनल मामला जो रिश्तों की गहराई को बयां करता है। 

Bijnor News: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से एक ऐसी मार्मिक घटना सामने आई है, जिसने इंसानी रिश्तों की गहराई और सच्चे प्रेम की मिसाल पेश कर दी। यहां एक पत्नी ने अपने बीमार पति की मौत के सदमे को बर्दाश्त नहीं किया और खुदकुशी कर ली। दर्दनाक बात ये रही कि पति और पत्नी का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया, जिसे देखकर हर आंख नम हो गई।

बीमारी से जूझ रहा था पति, पत्नी कर रही थी सेवा

यह भावुक कर देने वाली घटना बिजनौर के किरतपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत गांव मसनपुर की है। गांव के निवासी 45 वर्षीय भीम सिंह कई महीनों से गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उनका इलाज पहले ऋषिकेश स्थित एम्स में और फिर देहरादून के डोईवाला स्थित जॉलीग्रांट अस्पताल में चल रहा था। बीमारी के दौरान उनकी पत्नी राजकुमारी (42 वर्ष) दिन-रात उनकी सेवा में लगी रहीं। दोनों एक-दूसरे के लिए समर्पण की मिसाल थे।

पति की मौत के बाद टूटी पत्नी, खा लिया जहर

सोमवार की शाम इलाज के दौरान भीम सिंह की मौत हो गई। जैसे ही उनका शव मंगलवार सुबह गांव लाया गया, पत्नी राजकुमारी सदमे में डूब गईं। वह शव से लिपटकर फूट-फूटकर रोती रहीं। थोड़ी देर बाद वो चुपचाप अपने कमरे में चली गईं और दरवाजा बंद कर लिया।

शक होने पर घरवालों ने तोड़ा दरवाजा 

परिजनों को शक हुआ तो उन्होंने दरवाजा तोड़ा, तब देखा कि राजकुमारी बेहोश पड़ी हैं। आनन-फानन में उन्हें बिजनौर के एक निजी डॉक्टर के पास ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजनों के अनुसार, राजकुमारी ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली।

एक साथ निकली अंतिम यात्रा, एक ही चिता पर दी गई विदाई 

इस हृदयविदारक घटना से पूरे गांव में मातम छा गया। लोगों के चेहरे पर आंसू साफ नजर आ रहे थे। गांव के बुजुर्गों और परिजनों की सहमति से दोनों पति-पत्नी की अंतिम यात्रा एक साथ निकाली गई और गंगा बैराज पर एक ही चिता पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। यह दृश्य देखकर हर कोई भावुक हो गया।

गांव में पसरा सन्नाटा, चूल्हे तक नहीं जले 

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह दलित परिवार मजदूरी करके अपना जीवन-यापन करता था। इतने बड़े दुख की घड़ी में पूरा गांव एकजुट हो गया। लोगों ने बताया कि घटना के बाद गांव में किसी घर में चूल्हा तक नहीं जला। यह घटना वर्षों तक लोगों की आंखों में आंसू ला देने वाली एक मिसाल बन गई है।

 

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