
लखनऊ, 16 दिसंबर। शीतकालीन सत्र के पहले दिन सीएम योगी नेता विपक्ष पर जमकर बरसे। अल्लामा इकबाल की नज्म को लेकर भी सीएम योगी ने विपक्ष पर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता यहां एक कविता सुना रहे थे। सच को स्वीकार करने की सामर्थ्य नहीं है, इसलिए वो चले गए। एक दोहरे चरित्र के व्यक्ति के द्वारा जो पहले कुछ पंक्तियां लिखता है और बाद में उसका चरित्र कैसे बदल जाता है। अल्लामा इकबाल ही हैं जो कहते थे...
मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहां हमारा
चीन-ओ-अरब हमारा हिन्दोस्तां हमारा
तौहीद की अमानत सीनों में है हमारे
दुनिया के बुत-कदों में पहला वो घर खुदा का
तेगों के साए में हम पल कर जवां हुए हैं
मगरिब की वादियों में गूंजी अजां हमारी
बातिल से दबने वाले ऐ आसमां नहीं हम
ऐ गुलिस्तान-ए-उंदुलुस वो दिन हैं याद तुझको
ऐ मौज-ए-दजला तू भी पहचानती है हम को
ऐ अर्ज-ए-पाक तेरी हुर्मत पे कट मरे हम
सालार-ए-कारवां है मीर-ए-हिजाज अपना
इकबाल का तराना बांग-ए-दरा है गोया
मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहां हमारा
सीएम योगी ने पूछा कि क्या इकबाल को आप अपना आदर्श मानते हैं। वो खुद को पेशे से शिक्षक कहते हैं। ऐसे शिक्षक छात्रों को पढ़ाएंगे तो दुर्गति ही कराएंगे। इकबाल की एक कविता को यहां पढ़कर के और वास्तविक सच से आप धूल डालकर छुपा नहीं सकते हैं।
उन्होंने पूछा कि जब मोहर्रम का जुलूस हो या कोई भी मुस्लिम त्योहार का जुलूस वो हिंदू मोहल्ले से, मंदिर के सामने से सुरक्षित निकल जाता है, कोई समस्या नहीं होती। समस्या वहीं पर क्यों खड़ी होती है, जब कोई हिंदू शोभायात्रा किसी मस्जिद के सामने से या मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से निकलती है। झंडा लगाने में क्या समस्या आ रही है। क्या भारत की धरती पर केसरिया झंडा नहीं लग सकता। पूछना चाहता हूं कि हिंदु मोहल्ले और मंदिर के सामने से मुस्लिम जुलूस निकल सकता है तो मुस्लिम मोहल्ले से कोई शोभायात्रा क्यों नहीं निकल सकती। यहीं पर विवाद शुरू होता है। आप चाहते हैं कि आपके पर्व और त्योहार तो शांति से मनाए जाएं, लेकिन दूसरों के नहीं।
सीएम योगी ने पूछा कि आखिर ये संविधान में कहां लिखा है कि किसी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में हिंदू शोभायात्रा नहीं निकल सकती। जब आप रोकते हैं तो हिंदू पक्ष की ओर से भी रिएक्शन आता है कि हम भी नहीं जाने देंगे। मुझे आश्चर्य होता है इन बातों को लेकर कि मस्जिद के सामने से शोभायात्रा नहीं निकलने देंगे। ये सड़क किसी की अमानत है क्या, ये सार्वजनिक मार्ग है, आप किसी को कैसे रोक सकते हैं। बहराइच में भी परंपरागत जुलूस था और उसी परंपरागत जुलूस को आगे बढ़ाने के लिए सारे कार्यक्रम संपन्न हुए थे। लेकिन यह कहना की उत्तेजक नारे लगाए जा रहे थे। जय श्री राम का नारा उत्तेजक नहीं है, ये हमारी श्रद्धा का नारा है, हमारी आस्था का प्रतीक है। कल आपसे कहूंगा कि अल्ला हो अकबर का स्लोगन हमें अच्छा नहीं लगता तो क्या आपको अच्छा लगेगा। हमारी विरासत तो इतनी लंबी चौड़ी और प्राचीन है कि हम उस परंपरा को लेकर ही चले जाएं और जय श्री राम, हर हर महादेव और राधे राधे के संबोधन से ही पूरा जीवन काट सकता हूं। हमें और किसी संबोधन की आवश्यकता ही नहीं है।
सीएम योगी ने कहा कि कोई भजन गाया जा रहा है तो आप उस भजन को अश्लील कैसे कह सकते हैं। कांवड़ यात्रा में क्या अश्लील गाने बजते हैं। वहां भगवान शिव के गाने बजते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान जो शोभायात्रा निकलती है उसमें जगत जननी मां दुर्गा की आरती बजती है, दुर्गा चालीसा बजती है, हनुमान चालीसा बजती है,ये हमारे शक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं। आपने बाबरनामा पढ़ा होता तो ये बहस करते ही नहीं जिसमें स्वयं मीरबाकी के द्वारा हरिहर मंदिर तोड़ने का जिक्र किया गया है। जितने लोग यहां पर हैं, लेकिन वहां पर आपके फोर फादर और फोर फादर की पीढ़ी उसकी भुक्तभोगी रही होगी इसलिए वहां पर आप इस स्थिति में हैं।
आपके संभल में 1976 में शिया सुन्नी का विवाद हुआ था। ये लखनऊ का शिया सुन्नी विवाद भारतीय जनता पार्टी के समय ही समाप्त हुआ है। आप लोग तो शिया और सुन्नी को भी लड़ाते थे, क्योंकि आपकी तो शुरू से ही राजनीति बांटने और कटवाने की रही है। इसीलिए हमने कहा है कि न कटेंगे और न बटेंगे। सीएम योगी ने कहा कि आखिर ये दंगे क्यों किए जाते हैं। बहराइच का मामला, महाराजगंज कस्बे का, चार कंपनी पुलिस थी वहां पर और दंगा सड़क पर नहीं हो रहा था, गोली घर के अंदर से चल रही थी। जिस निर्दोष राम गोपाल मिश्रा की हत्या हुई उसे घर के अंदर से गोली मारी गई। हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। दंगा सड़क पर आमने-सामने नहीं था। अगर पुलिस घर के अंदर घुसती तो लोग कुछ और ही आरोप लगाते। पुलिस ने बचाव करने का अपना प्रयास किया। भाजपा के विधायक की गाड़ी पर हमला हुआ जो वहां से 30-35 किमी दूर है। इन्होंने जो तहरीर दी वो दूसरे मामले को लेकर है, इसका उस घटना से कोई लेना देना नहीं, लेकिन उसको किस तरह से जोड़कर देखा जा रहा है।
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