
UP surgical grant scheme details : चार साल की हुमेरा जब पहली बार मां की चूड़ियों की खनक सुनकर चौंकी, तो उसकी आंखों में चमक थी और मां की आंखों में आंसू। यह कोई फिल्मी सीन नहीं, हकीकत है—उत्तर प्रदेश सरकार की सर्जिकल ग्रांट स्कीम की बदौलत अब हुमेरा जैसे सैकड़ों बच्चे दुनिया की आवाज़ें सुन पा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की शल्य चिकित्सा अनुदान योजना (Surgical Grant Scheme) ने गरीब परिवारों के उन सपनों को हकीकत में बदल दिया है, जिन्हें सुनने में असमर्थ बच्चों की वजह से खामोश रहना पड़ता था। इस योजना के तहत 6 लाख रुपये तक की कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी बिल्कुल मुफ्त की जा रही है।
मेरठ से लेकर गाजियाबाद और नोएडा तक, इस योजना ने उन घरों में रोशनी भर दी है जहां आर्थिक स्थिति के चलते इलाज कराना असंभव था। अब सरकार खुद जरूरतमंद बच्चों की पहचान कर उन्हें इलाज के लिए भेज रही है।
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नोएडा के बिशनपुरा की दानिया खातून के लिए जिंदगी एक कठिन सफर रही। पति के गुजरने के बाद उन्होंने फैक्ट्री में काम शुरू किया और तभी पता चला कि उनकी बेटी नाजिया और बेटा अयान सुन नहीं सकते।
चार लाख रुपये के इलाज की बात सुनकर उनका हौसला टूट गया था, लेकिन एक सरकारी शिक्षक से मिली जानकारी ने सबकुछ बदल दिया। योजना के तहत नाजिया की सर्जरी हुई और अब वो आवाजें सुन पा रही है। "अब नाजिया ऑनलाइन सेशन के ज़रिए बोलना सीख रही है। ऐसा लग रहा है जैसे हमारी बेटी के लिए एक नया दरवाज़ा खुल गया हो।"
2024-25 के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी सरकार की इस योजना के तहत अब तक 63 जिलों के 214 बच्चों को 12.8 करोड़ रुपये के कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी का लाभ मिल चुका है। गाजियाबाद के जिला दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी सुधीर त्यागी के अनुसार, मेरठ के न्यूटेमा अस्पताल में बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है जिससे यह तय होता है कि सर्जरी उनके लिए उपयुक्त है या नहीं।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ प्रमुख शर्तें तय की गई हैं:
‘शल्य चिकित्सा अनुदान योजना’ यूपी सरकार की उन योजनाओं में शामिल है जो सिर्फ आंकड़ों में नहीं, ज़िंदगी में असर छोड़ती है। अब वह बच्चा जो पहले मां की आवाज़ नहीं सुन पाता था, आज उससे कह सकता है – “मां… मैं सुन सकता हूं।”
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