
लखनऊ में सोमवार की सुबह कुछ अलग थी। एक ही छत के नीचे देश के दिग्गज टेक विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी और उद्योग जगत के प्रतिनिधि भविष्य के उस उत्तर प्रदेश का खाका खींच रहे थे, जिसकी कल्पना 2047 के विकसित भारत में एक प्रमुख शक्ति के रूप में की जा रही है। यह बैठक सिर्फ चर्चाओं तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह उस डिजिटल क्रांति का रोडमैप तैयार कर रही थी, जिसके जरिए यूपी के गांव से लेकर शहर और खेत से लेकर स्टार्टअप तक, हर क्षेत्र में नई ऊर्जा भरने की तैयारी है।
लखनऊ के होटल द सेंट्रम में आयोजित इस स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन मीटिंग में प्रमुख सचिव अनुराग यादव ने कहा कि यूपी अब केवल एक राज्य नहीं, बल्कि विकसित भारत के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाने वाला डिजिटल प्रदेश बनने जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस बैठक से निकले सुझाव सरकार की आगामी प्राथमिकताओं को तय करेंगे। योगी सरकार ने डिजिटल प्रशासन से लेकर टेक्नोलॉजी आधारित अर्थव्यवस्था तक, अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो आगे और मजबूत होगी।
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बैठक में डिजिटल कृषि और ग्रामीण सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी गई। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि किसानों के लिए एकीकृत डिजिटल इकोसिस्टम बनाया जाए, जिससे वे बाजार की सही जानकारी, कृषि सलाह और वित्तीय सेवाएं सरलता से प्राप्त कर सकें।
इसके साथ ही टेक आधारित लॉजिस्टिक, ट्रेसिंग सिस्टम और ग्रामीण इंटरनेट कनेक्टिविटी को मजबूत करने की दिशा में भी सुझाव दिए गए, ताकि किसानों की आय में वास्तविक बढ़ोतरी हो।
एमएसएमई को प्रदेश की आर्थिक रीढ़ मानते हुए बैठक में उनके डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर जोर दिया गया। सुझाव दिए गए:
इसके जरिए यूपी के उत्पादों को वैश्विक बाजारों में नए अवसर मिलेंगे।
बैठक में हाल ही में आए लगभग 500 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों का स्वागत किया गया। साथ ही सुझाव दिया गया कि:
वैश्विक टेक कंपनियों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण होगा।
राज्य के युवाओं को भविष्य की तकनीकों से जोड़ने के लिए सुझाव आए कि:
बैठक में स्टार्टअप्स को सरकारी खरीद में विशेष प्रावधान देने, पेटेंट और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि यूपी अब स्टार्टअप राष्ट्र की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहा है।
बैठक में योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी सहित शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। प्रतिनिधियों से अपील की गई कि वे अपने सुझाव लिखित रूप में दें, ताकि उन्हें योजनाओं में शामिल किया जा सके।
2017 में यूपी की अर्थव्यवस्था 14 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2025 में बढ़कर 30 लाख करोड़ हो चुकी है। सरकार का लक्ष्य:
उत्तर प्रदेश 2047 तक विकसित भारत की धुरी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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