UP unique voterlist: वाराणसी में अविवाहित व्यक्ति के 48 बेटे, 13 तो एक ही दिन हुए पैदा

Published : Mar 14, 2025, 12:03 AM IST
Election Commission of India

सार

वाराणसी (Varanasi) की वोटर लिस्ट में चौंकाने वाला खुलासा, एक अविवाहित व्यक्ति के 48 बेटे दर्ज। इसमें 13 बच्चे एक ही दिन पैदा हुए। सोशल मीडिया पर वोटर लिस्ट वायरल, Election Commission पर उठे सवाल। 

UP voterlist : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) में वोटर लिस्ट में एक अजीबो-गरीब परिवार का डिटेल सामने आया है। इस परिवार में एक ही व्यक्ति के 48 बेटे होने का दावा किया गया है। एक व्यक्ति और उसके 48 बेटों का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है। सबसे हैरानी की बात यह कि जिस व्यक्ति के 48 कथित बेटों के नाम वोटर लिस्ट में है, वह पिता स्वयं अविवाहित है। सोशल मीडिया पर यह लिस्ट खूब वायरल हुई है। खास बात ये है कि इन 48 में से 13 बच्चों की जन्मतिथि एक ही दिन की है।

कई बेटों की उम्र एक समान

सोशल मीडिया पर वाराणसी के वार्ड नंबर 51 की एक वोटर लिस्ट वायरल हो रही है, जिसमें एक ही व्यक्ति को 48 बेटों का पिता दिखाया गया है। इन लिस्ट के अनुसार, कई बेटों की उम्र भी लगभग समान ही है। लिस्ट की मानें तो 13 बेटे 37 साल के हैं तो 5 बेटे 39 साल के हैं। चार बेटों की उम्र लगभग 40 साल है तो अन्य सभी की उम्र 42 साल है।

कौन हैं 48 बच्चों के पिता? क्या है पूरा मामला

वोट लिस्ट में जिस व्यक्ति के 48 बेटों के नाम हैं, उनका नाम स्वामी रामकमल दास है। स्वामी रामकमल दास, वाराणसी के गुरुधाम राम जानकी मंदिर के संस्थापक हैं। यही नहीं, गुरुधाम मंदिर के पते को ही मकान नंबर के रूप में दर्ज किया गया है।

EC पर उठे सवाल, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मामला

जैसे ही ये लिस्ट वायरल हुई, चुनाव आयोग (Election Commission) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे। यूजर्स ने इस मामले को लेकर भारतीय चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि अगर एक अविवाहित व्यक्ति के 48 बच्चे दिखाए जा सकते हैं तो वोटिंग प्रक्रिया में और कितनी गड़बड़ियां हो सकती हैं?

क्या कहता है चुनाव आयोग?

EC ने कहा कि आयोग वोटर लिस्ट की हर गड़बड़ी को बड़ी ही गंभीरता से लेता है और उसका निस्तारण भी करता है। लेकिन जिस वोटरलिस्ट की बात कही जा रही है वह सही है। वह एक मंदिर का पता हैं जहां बहुत सारे संत, साधु-संन्यासी रहते हैं। इन संन्यासियों ने अपने पिता के नाम की जगह मंदिर के प्रधान का नाम लिखा है। यह इसलिए क्योंकि संन्यास ग्रहण करने के बाद घर-परिवार को त्याग कर मंदिर या मठ को संन्यासी समर्पित हो जाता है।

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