UP Politics Twist: वाराणसी में कुंवारे संत के 50 बेटों के पिता-जानिए क्या है चुनावी कनेक्शन?

Published : Aug 13, 2025, 11:19 AM IST
Ramkamal Das 50 sons case

सार

Varanasi Voter List Mystery: वाराणसी में अविवाहित संत रामकमल दास के नाम 50 बेटों वाली वोटर लिस्ट ने सियासी गलियारों में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस का वोट चोरी का आरोप, संत इसे गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान बता रहे हैं। जानें क्या है इसके पीछे का सच?

Varanasi Voter List Controversy: बिहार से शुरू हुआ वोटर लिस्ट का विवाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी तक पहुंच गया है। बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में इस मामले ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों को हिला दिया है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक बहस भी छेड़ दी है। भेलूपुर क्षेत्र की मतदाता सूची में अविवाहित संत स्वामी रामकमल दास के नाम पर 50 से अधिक “बेटों” के नाम दर्ज पाए गए हैं। इस खुलासे के बाद कांग्रेस ने इसे वोट चोरी का बड़ा मामला बताते हुए चुनाव आयोग से जांच की मांग कर दी है।

कांग्रेस का आरोप: वोट बैंक बढ़ाने की साजिश?

कांग्रेस का कहना है कि एक ही व्यक्ति के 50 बेटों का नाम वोटर लिस्ट में दर्ज होना प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश है। पार्टी ने सवाल उठाया-"एक अविवाहित संत के इतने बेटे कैसे हो सकते हैं?" कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि यह मतदाता संख्या बढ़ाने और चुनावी फायदे के लिए किया गया फर्जीवाड़ा है।

 

 

गुरु-शिष्य परंपरा का तर्क: कानूनी और मान्य परंपरा? 

दूसरी ओर, राम जानकी मठ मंदिर के प्रबंधक रामभरत शास्त्री ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि यह मामला हिंदू धर्म की गुरु-शिष्य परंपरा का हिस्सा है। उनके अनुसार, आश्रम में रहने वाले शिष्य अपने गुरु को पिता मानते हैं और इस आधार पर उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज कराया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस परंपरा को 2016 में भारत सरकार ने मान्यता दी थी और यह पूरी तरह कानूनी है।

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क्या सच में '50 बेटे' सिर्फ शिष्य हैं? 

जानकारी के मुताबिक, स्वामी रामकमल दास के "सबसे बड़े बेटे" की उम्र 72 साल है, जबकि सबसे छोटे की 28 साल। संत समुदाय का कहना है कि ये सभी लोग उनके शिष्य हैं, जो मतदाता सूची में परंपरागत रूप से गुरु को पिता मानकर अपना नाम दर्ज करवाते हैं।

संतों का पलटवार: कांग्रेस पर सनातन को बदनाम करने का आरोप 

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष जानबूझकर सनातन परंपरा और हिंदू धर्माचार्यों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के आरोपों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सोशल मीडिया पर भी गरमाई बहस 

इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे प्रशासनिक गड़बड़ी बता रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक परंपरा का सम्मान मानते हैं। वहीं, भाजपा समर्थक इस मुद्दे को विपक्ष की साजिश बता रहे हैं।

चुनाव आयोग के सामने चुनौती: परंपरा बनाम नियम 

कांग्रेस ने जहां निष्पक्ष जांच की मांग की है, वहीं संत समुदाय और मंदिर प्रशासन का कहना है कि गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान होना चाहिए, न कि इसे विवाद का मुद्दा बनाया जाए। अब सभी की निगाहें चुनाव आयोग के रुख पर हैं, जो इस पूरे विवाद की सच्चाई सामने लाएगा।

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