UP में कहां की रहने वाली है विंग कमांडर व्योमिका सिंह? कैसे बनीं एयरफोर्स की शेरनी?

Published : May 09, 2025, 10:40 AM ISTUpdated : May 09, 2025, 10:43 AM IST
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सार

Wing Commander Vyomika Singh:  लखनऊ की बेटी विंग कमांडर व्योमिका सिंह, 'ऑपरेशन सिंदूर' में अपनी भूमिका से देश की नई हीरोइन बन गई हैं। उनकी कहानी नाम से जन्मे सपने और चुनौतियों से लड़कर आकाश की रानी बनने की है।

Wing Commander Vyomika Singh story: "जब आकाश ने पुकारा, तो ज़मीन की एक बेटी ने पंख फैला दिए..." यह कहानी है लखनऊ की उस बहादुर बेटी की, जिसने अपने नाम के अर्थ को ही अपनी पहचान बना लिया। 'व्योमिका' यानी आकाश की स्वामिनी, और आज वह सचमुच भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए आकाश की रानी बन चुकी हैं। हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी देते हुए जब उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से प्रेस को संबोधित किया, तो देश को एक नई हीरोइन मिल गई विंग कमांडर व्योमिका सिंह।

कौन हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह?

नई दिल्ली में एक हाई-प्रोफाइल प्रेस कॉन्फ्रेंस में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बोलते हुए विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह ऑपरेशन पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में किया गया एक एयर स्ट्राइक मिशन था। इस बहादुर महिला अफसर ने न सिर्फ मिशन की जानकारी साझा की, बल्कि भारतीय वायुसेना में महिलाओं की भूमिका को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया।

नाम से शुरू हुआ व्योमिका का सपना

व्योमिका ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वह छठी कक्षा में थीं, तो स्कूल में नामों के अर्थ पर चर्चा हो रही थी। तभी उन्हें पहली बार पता चला कि 'व्योमिका' का मतलब होता है "आकाश की स्वामिनी"। उसी पल उन्होंने फैसला कर लिया कि उन्हें पायलट बनना है। ये एक नाम से जन्मे सपने की कहानी है, जो आज करोड़ों बेटियों को उड़ान के लिए प्रेरित कर रही है।

जब नियमों ने रोका, इरादों ने रास्ता बनाया

1991-92 में जब उन्होंने देखा कि वायुसेना में सिर्फ अविवाहित पुरुष ही पायलट बन सकते हैं, तो उन्हें गहरा आघात लगा। लेकिन इसी ने उनके अंदर एक आग जलाई जिद, जुनून और जज्बा। उन्होंने ठान लिया कि वे इस असमानता को तोड़ेंगी और वायुसेना में अपनी अलग पहचान बनाएंगी।

इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में जब उन्हें UPSC के जरिए शॉर्ट सर्विस कमीशन से महिला पायलट बनने की जानकारी मिली, तो उन्होंने परीक्षा दी और सफल होकर प्रशिक्षण लिया। यहीं से उनकी सैन्य उड़ान की शुरुआत हुई।

व्योमिका सिंह चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टरों की विशेषज्ञ पायलट हैं। अब तक उन्होंने 2500 घंटे से अधिक की उड़ानें भरी हैं समुद्र तल से लेकर 18,000 फीट तक। कई बार उन्होंने कठिन से कठिन राहत और बचाव अभियानों को अंजाम दिया है।

अरुणाचल में किया अद्भुत बचाव अभियान

नवंबर 2020 में अरुणाचल प्रदेश के ऊबड़-खाबड़ इलाकों में विषम मौसम के बीच व्योमिका सिंह ने एक साहसी बचाव अभियान का नेतृत्व किया। इस मिशन ने कई लोगों की जान बचाई और व्योमिका को एक रियल-लाइफ हीरो के रूप में स्थापित कर दिया।

2021 में उन्होंने माउंट मणिरंग (21,650 फीट) की चोटी पर त्रि-सेवा महिला पर्वतारोहण अभियान में हिस्सा लिया। ये दिखाता है कि व्योमिका सिर्फ हेलीकॉप्टर पायलट ही नहीं, बल्कि एक साहसी पर्वतारोही भी हैं।

जब मानवीयता ने उड़ान भरी

अपने करियर के दौरान व्योमिका को कई बार ऐसे फैसले लेने पड़े जहां उन्हें जोखिम उठाते हुए भी मानवीयता को प्राथमिकता देनी पड़ी। एक बार उन्होंने खराब मौसम के चलते एक घायल को प्राथमिकता दी और अगले दिन लौटकर दूसरे को बचाया। यह दर्शाता है कि उनके लिए सेवा सिर्फ ड्यूटी नहीं, बल्कि मिशन है।

क्यों बन गई हैं लड़कियों की रोल मॉडल?

आज विंग कमांडर व्योमिका सिंह उस बदलाव की प्रतीक बन चुकी हैं, जिसे देश की बेटियां देखना चाहती थीं। उन्होंने हर बाधा को पार करते हुए यह साबित किया है कि अगर इरादे बुलंद हों, तो आकाश भी झुक सकता है।

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