
बरेली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रम विभाग ने मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना को तेज गति से लागू किया है। इस योजना का उद्देश्य उन बच्चों को शिक्षा और आर्थिक सहयोग देना है, जो परिवार की मजबूरी के कारण ढाबों, होटलों, फैक्टरियों या अन्य स्थानों पर काम करते हैं।
योजना के पहले चरण में प्रदेश के 20 जिलों को चुना गया है, जिनमें बरेली भी शामिल है। प्रत्येक जिले में 100 बच्चों को लाभ देने का लक्ष्य तय किया गया है। सहायक श्रमायुक्त बाल गोविंद के अनुसार, बरेली में अब तक 500 बच्चों को इस योजना का लाभ मिल चुका है। उनका कहना है कि योजना का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा मजबूरी में मजदूरी न करे और सुरक्षित वातावरण में पढ़ सके।
शासन ने बच्चों के चयन के लिए नौ प्राथमिकता श्रेणियां निर्धारित की हैं। सबसे पहले प्राथमिकता उन बच्चों को दी जाएगी, जिनके माता-पिता दोनों नहीं हैं और परिवार की पूरी आय उन्हीं पर निर्भर है। इन श्रेणियों में वे बच्चे शामिल हैं:
सभी श्रेणियों में वही बच्चे शामिल किए जाएंगे, जो श्रम विभाग के सर्वे में कामकाजी पाए गए हों।
पहले चरण में उत्तर प्रदेश के जिन 20 जिलों को चुना गया है, उनमें आगरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, बलिया, लखनऊ, बाराबंकी, बरेली, बदायूं, गाजियाबाद, गोरखपुर, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, मुरादाबाद, सोनभद्र, मिर्जापुर, जौनपुर, वाराणसी और गाजीपुर शामिल हैं।
इन जिलों में प्रति जिला 100 बच्चों को सहायता दी जा रही है। इस तरह पहले चरण में कुल 2000 बच्चों को लाभ देने का लक्ष्य है। बच्चों को दिए जा रहे लाभ:
यदि बच्चा लगातार पढ़ाई जारी रखता है, तो यह सहायता नियमित रूप से मिलती रहेगी।
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