योगी सरकार का अब तक का सबसे बड़ा क्रैकडाउन, कोडिनयुक्त कफ सिरप तस्करी का नेटवर्क ध्वस्त

Published : Dec 11, 2025, 06:26 PM IST
Yogi government UP codeine cough syrup ndps smuggling network crackdown

सार

सीएम योगी के निर्देश पर यूपी में कोडिनयुक्त कफ सिरप और एनडीपीएस दवाओं के अवैध डायवर्जन पर सबसे बड़ा क्रैकडाउन चल रहा है। 31 जिलों में 133 फर्मों पर FIR हुई। पहली बार एनडीपीएस और बीएनएस एक्ट में मुकदमा दर्ज कर तस्करी नेटवर्क तोड़ा जा रहा है।

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही अवैध नशे के कारोबार पर सख्त कार्रवाई की रणनीति अपनाई। इसी दिशा में वर्ष 2022 में एएनटीएफ का गठन किया गया। इसके बाद कोडिनयुक्त कफ सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं के अवैध व्यापार और डायवर्जन पर फोकस बढ़ाया गया।

सीएम योगी के निर्देश पर एफएसडीए ने पूरे प्रदेश में गहन जांच शुरू की और बड़ी कार्रवाई से पहले झारखंड, हरियाणा, हिमाचल जैसे राज्यों में भी जांच की। यहां से यूपी के कई सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर से जुड़े सबूत इकट्ठा किए गए।

दो माह से जारी सबसे बड़ा राष्ट्रीय क्रैकडाउन

दो माह पहले एफएसडीए ने राज्यव्यापी क्रैकडाउन शुरू किया, जो अभी भी जारी है। इस दौरान 31 जिलों में छापेमारी कर 133 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। इनमें से कई फर्म संचालकों को जेल भेजा जा चुका है।

सीएम योगी के निर्देश पर कोडिनयुक्त कफ सिरप की तस्करी करने वालों को कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। यह अब तक का देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन माना जा रहा है, जबकि अन्य राज्यों में सिर्फ औपचारिक कार्रवाई भर की गई।

पहली बार एनडीपीएस और बीएनएस के तहत मुकदमा

एफएसडीए आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सिर्फ लाइसेंस रद्द करने तक कार्रवाई सीमित न रहे, बल्कि ऐसा एक्शन लिया जाए जो पूरे देश में मिसाल बने। इसी दिशा में पहली बार कोडिनयुक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन में शामिल लोगों पर एनडीपीएस और बीएनएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई के लिए भी पत्र भेजा गया, जिससे कार्रवाई और मजबूत हुई।

52 जिलों में 332 मेडिकल फर्मों की जांच

सीएम योगी के निर्देश पर 52 जिलों में 332 औषधि दुकानों और स्टॉक पॉइंट्स की जांच की गई। जांच में सामने आया कि कई प्रतिष्ठान सिर्फ बिलिंग पॉइंट के रूप में काम कर रहे थे और वास्तविक रूप से अस्तित्व में ही नहीं थे। कुछ स्थानों पर पर्याप्त भंडारण व्यवस्था नहीं मिली। कई फर्मों के खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड भी नहीं मिले। इनमें से 133 प्रतिष्ठान व्यवस्थित रूप से दवाओं का अवैध डायवर्जन कर इन्हें नशे के रूप में बेचने में शामिल पाए गए। यह नेटवर्क मुख्य रूप से लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच से नेपाल और वाराणसी, गाजियाबाद से बांग्लादेश में सप्लाई कर रहा था।

इन जिलों में सबसे ज्यादा मामले सामने आए

वाराणसी, जौनपुर, कानपुर नगर, गाजीपुर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, बहराइच, बिजनौर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सीतापुर, सोनभद्र, बलरामपुर, रायबरेली, संतकबीर नगर, हरदोई, भदोही, अमेठी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, बस्ती, अंबेडकनगर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, सुल्तानपुर, चंदौली, मीरजापुर, बांदा और कौशांबी।

छोटे व्यापारियों को न परेशान करने के निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दवाओं का अवैध डायवर्जन जहां भी हो रहा है, उसे तुरंत और पूरी तरह रोका जाए। यह भी निर्देश दिया गया कि कार्रवाई के दौरान छोटे व्यापारियों को परेशान न किया जाए, बल्कि असली दोषियों- सुपर स्टॉकिस्ट और बड़े होलसेलर्स पर सख्त कार्रवाई हो। इसी के तहत पहली बार एनडीपीएस व बीएनएस एक्ट में एफआईआर दर्ज हुई और जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई करने को कहा गया।

-डॉ. रोशन जैकब, सचिव एवं आयुक्त, एफएसडीए

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