हल्द्वानी में जल संकट पर 'मानक मंथन', क्या निकला हल?

Published : Jan 24, 2025, 08:42 PM IST
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सार

हल्द्वानी में बीआईएस ने उद्योग सम्मेलन आयोजित कर जल संकट और मानकीकरण पर चर्चा की। सांसद अजय भट्ट ने भारतीय मानकों को अपनाने पर ज़ोर दिया।

हल्द्वानी। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने गुरुवार को हल्द्वानी में एक उद्योग सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य उद्योगों को नवीनतम नीतियों, मानकीकरण में उनके योगदान, और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) की विस्तृत जानकारी प्रदान करना था। इसके साथ ही, जल संकट जैसी गंभीर चुनौतियों के समाधान के लिए जल के स्मार्ट उपयोग पर ‘मानक मंथन’ विषय पर गहन चर्चा की गई।

इस अवसर पर जल संसाधन विभाग के निदेशक, श्री अंशुमान (TERI), ने जल प्रबंधन और इसके कुशल उपयोग पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने जल के संरक्षण और इसके प्रभावी उपयोग के लिए तकनीकी मानकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और सांसद, श्री अजय भट्ट, ने अपने संबोधन में भारतीय मानकों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि मानकीकरण न केवल उद्योगों बल्कि हमारे व्यक्तिगत जीवन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। उन्होंने भारतीय समाज को सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी नागरिकों और उद्योगों से भारतीय मानकों को अपनाने की अपील की।

बीआईएस देहरादून के निदेशक और प्रमुख, श्री सौरभ तिवारी, ने भारतीय मानकों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उद्योगों को उनका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बीआईएस के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बीआईएस भारतीय उद्योगों को सशक्त बनाने और उनके विकास में सहयोग करने के लिए तत्पर है।

इस कार्यक्रम में हल्द्वानी, सितारगंज, रुद्रपुर और काशीपुर के उद्योग क्लस्टरों से 120 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन के दौरान बीआईएस ने उद्योगों और उपभोक्ताओं के बीच मानकीकरण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए अपने नवीनतम कदमों और पहलों को साझा किया।

'मानक मंथन' का उद्देश्य

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण जल के कुशल उपयोग पर चर्चा थी। विशेषज्ञों ने जल संकट के समाधान हेतु तकनीकी नवाचार और मानकीकरण की भूमिका पर प्रकाश डाला। वहीं इस सम्मेलन के माध्यम से बीआईएस ने न केवल उद्योगों को नई नीतियों की जानकारी दी, बल्कि भारतीय मानकों को अपनाने और उनका पालन करने के महत्व को भी रेखांकित किया। यह प्रयास भारतीय उद्योगों और समाज को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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