अंधेरी सुरंग, मजदूरों से भरी ट्रेन और सामने से आती मालगाड़ी-चमोली में 2 ट्रेनों की टक्कर हादसा या बड़ी चूक?

Published : Dec 31, 2025, 08:18 AM IST

Chamoli Train Accident: उत्तराखंड के चमोली में पीपलकोटी सुरंग के अंदर दो लोको ट्रेनों की टक्कर हो गई। हादसे के वक्त ट्रेन में 109 लोग सवार थे, जिनमें 60 घायल हुए। सभी सुरक्षित हैं और घायलों की हालत स्थिर बताई गई है लेकिन सवाल अब भी बाकी हैं।

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Chamoli Train Accident: सुरंग में कैसे टकराईं दो ट्रेनें, 60 घायल

Uttarakhand Train Collision: उत्तराखंड के चमोली जिले से मंगलवार देर शाम एक चौंकाने वाली खबर सामने आई, जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। विष्णुगाड–पीपलकोटी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की पीपलकोटी सुरंग के अंदर दो लोको ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर हो गई। इस हादसे में करीब 60 लोग घायल हो गए, जबकि ट्रेन में कुल 109 लोग सवार थे।

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आखिर चमोली में यह ट्रेन हादसा कैसे हुआ?

जानकारी के मुताबिक, पीपलकोटी सुरंग के अंदर एक लोको ट्रेन मजदूरों और अधिकारियों को लेकर जा रही थी, जबकि दूसरी ट्रेन निर्माण सामग्री से लदी मालगाड़ी थी। इसी दौरान सुरंग के अंदर दोनों ट्रेनों की टक्कर हो गई। सुरंग के अंदर अंधेरा और सीमित जगह होने के कारण हादसा और ज्यादा गंभीर हो सकता था।

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हादसे के वक्त ट्रेन में कितने लोग थे?

चमोली के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट गौरव कुमार ने बताया कि हादसे के समय ट्रेन में कुल 109 लोग सवार थे। इनमें से 60 लोग घायल हो गए। राहत की बात यह रही कि सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और किसी की जान नहीं गई।

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क्या सभी घायलों की हालत ठीक है?

डीएम गौरव कुमार के अनुसार, सभी घायलों की हालत फिलहाल स्थिर है। इनमें से 10 लोगों को ज्यादा चोटें आई थीं, जिन्हें इलाज के लिए गोपेश्वर जिला अस्पताल भेजा गया है। बाकी घायलों को प्राथमिक उपचार दिया गया। 

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सुरंग के अंदर ट्रेनें क्यों चलती हैं?

अधिकारियों ने बताया कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की सुरंगों के अंदर मजदूरों, अधिकारियों और भारी सामान को लाने-ले जाने के लिए लोको ट्रेनों का इस्तेमाल किया जाता है। यही ट्रेनें निर्माण कार्य को तेज़ी से पूरा करने में मदद करती हैं।

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किस प्रोजेक्ट से जुड़ा है यह हादसा?

यह हादसा THDC (इंडिया) द्वारा बनाए जा रहे 444 मेगावाट के विष्णुगाड-पीपलकोटी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से जुड़ा है। यह प्रोजेक्ट अलकनंदा नदी पर, हेलंग और पीपलकोटी के बीच बनाया जा रहा है। इस परियोजना से चार टर्बाइन के ज़रिए 111-111 मेगावाट बिजली पैदा की जाएगी। इसे अगले साल तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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क्या यह लापरवाही थी या तकनीकी चूक?

फिलहाल सबसे बड़ा सवाल यही है कि सुरंग के अंदर यह टक्कर कैसे हुई? क्या यह किसी मानवीय गलती का नतीजा थी या तकनीकी खराबी के कारण हादसा हुआ? प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इस पूरे हादसे में सबसे बड़ी राहत यह है कि कोई जानमाल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ। सभी लोग सुरक्षित हैं और घायलों का इलाज जारी है।

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