
Mansa Devi Temple Stampede: हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना ने एक बार फिर देश को झकझोर दिया है। श्रद्धालुओं की भीड़, आस्था की पराकाष्ठा और इंतजामों की कमजोरी - जब ये तीनों मिलते हैं, तो नतीजा अक्सर त्रासदी ही होता है। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई और कई घायल हैं। पर क्या यह पहली बार हुआ है? नहीं। यही 2025, अब तक कई बार इस तरह की घटनाओं का गवाह बन चुका है।
तो सवाल उठता है, बार-बार ऐसा क्यों हो रहा है? क्या प्रशासन कुछ सीख नहीं रहा? और क्या श्रद्धा की भीड़ को नियंत्रित करना अब असंभव हो गया है? आइए नजर डालते हैं इस साल की उन प्रमुख भगदड़ घटनाओं पर, जिन्होंने देश को सदमे में डाल दिया।
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हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ उस वक्त मची, जब मंदिर मार्ग पर एक हाई वोल्टेज बिजली का तार गिर गया। उस वक्त हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़े हुए थे। अचानक हुए इस हादसे से भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए।
बेंगलुरु में इस साल की शुरुआत में RCB की विक्ट्री परेड के दौरान भीड़ ने नियंत्रण खो दिया और भगदड़ मच गई। इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई थी। कारण बना
यह भगदड़ धार्मिक नहीं थी, पर यह दिखाती है कि बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन कितना जरूरी है।
महाकुंभ के मौनी अमावस्या स्नान के दौरान प्रयागराज में जो भगदड़ मची, उसने 30 लोगों की जान ले ली और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। यहां लोगों की जिद- संगम में एक खास समय पर स्नान करने की -प्रशासन के नियंत्रण से बाहर हो गई। सरकार की रिपोर्ट भले 30 मौतें बताए, मीडिया रिपोर्ट्स इसे कहीं अधिक बताती हैं।
कुंभ स्पेशल ट्रेन को लेकर प्लेटफॉर्म की जानकारी में भ्रम फैला और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 18 लोगों की मौत हो गई।
यह हादसा दर्शाता है कि सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, भीड़ प्रबंधन हर बड़े स्थान पर चुनौती बना हुआ है।
तिरुपति बालाजी मंदिर, जो अनुशासन और प्रबंधन के लिए मशहूर है, वहां भी 8 जनवरी को भगदड़ मची।
यह घटना बताती है कि सिस्टम कितना भी मजबूत हो, जब भीड़ अनुमान से अधिक हो जाए तो हादसे टलना मुश्किल होता है।
पिछले साल हाथरस में भोले बाबा की कथा के दौरान 121 लोगों की मौत एक दर्दनाक उदाहरण है।
यह देश की अब तक की सबसे भयावह भगदड़ घटनाओं में से एक रही।
हर बार हादसे के बाद कुछ सवाल ज़रूर उठते हैं:
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