बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने ढूंढा सस्ती LCD बनाने का तरीका, 2D नैनो मटेरियल्स तकनीक का किया इस्तेमाल

बेंगलुरु स्थित डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DST)  के एक सेल्फ गवर्निंग इंस्टीट्यूट- सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (CeNS) के वैज्ञानिकों ने 2D मैटेरियल को एम्पलॉय करने का यह नया तरीका सोचा और उस पर अमल किया है ताकि मौजूद तरीकों की कमियों को दूर किया जा सके।

टेक न्यूज. Bengaluru Scientists founded new technique of makinfg LCD: बेंगलुरु में वैज्ञानिकों की एक टीम ने लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले बनाने के लिए एक आसान टेक्नीक डेवलप की है, जिससे कई डिवाइस की लागत कम हो सकती है। बता दें कि लिक्विड क्रिस्टल डिवाइस (एलसीडी) को बनाने में कॉन्स्टीटूएंट लिक्विड क्रिस्टल (एलसी) का यूनिडायरेक्शनल प्लानर अलाइनमेंट बेहद जरूरी होता है। बेंगलुरु स्थित डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DST)  के एक सेल्फ गवर्निंग इंस्टीट्यूट- सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (CeNS) के वैज्ञानिकों ने 2D मैटेरियल को एम्पलॉय करने का यह नया तरीका सोचा और उस पर अमल किया है ताकि मौजूद तरीकों की कमियों को दूर किया जा सके।

इसलिए नॉन-कॉन्टेक्ट टेक्नीक ने ली रबिंग टेक्नीक की जगह 
बता दें कि भले ही पारंपरिक पॉलिमर रबिंग मैथड बेहतर लिक्विड क्रिस्टल अलाइनमेंट बनाता है पर इससे बनने वाले LCD में कई कमियां होती हैं। जैसे डिस्प्ले के इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स को नुकसान पहुंचना, इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज और डस्ट पार्टिकल्स का डिस्प्ले फ़ंक्शन में इंटरफेयर करना। ऐसे में जहां इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज फेलियर रेट को बढ़ावा देते हैं वहीं धूल की वजह से डिवाइस की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। और सिर्फ यहीं नहीं इस टेक्नीक में और भी कई तरह की परेशानियां हैं जिसके चलते नए नॉन-कॉन्टेक्ट टेक्नीक ने रबिंग टेक्नीक की जगह ले ली है।

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नई तकनीक में इस्तेमाल होते हैं 2D नैनो मटेरियल्स 
इन तकनीकों में सबसे नई तकनीक है ग्राफीन, हेक्सागोनल बोरॉन नाइट्राइड (h-BN), ट्रांज़िशन मेटल डाइक्लोजेनाइड्स और इसी तरह अलाइनमेंट लेयर्स जैसे 2D नैनो मटेरियल्स का इस्तेमाल करना। हालांकि, इन सभी में कैमिकल वेपर डिपोजिशन (CVD) मैथड के कारण एक कमी होती है जिसके चलते इस टेक्नीक को खतरनाक या फिर टॉक्सिक टेंपरेचर और बाय-प्रोडक्ट्स की जरूरत होती है। इसके अलावा, जब CVD मैथड का उपयोग किया जाता है तो यूनिडायरेक्शनल LC अलाइनमेंट केवल छोटे रीजन में देखा जाता है।

ये हैं साइंटिस्ट्स की वह टीम
प्रियब्रत साहू, डॉ. DS शंकर राव, गायत्री पिशारोडी, डॉ. HSSR मट्टे और डॉ. एस कृष्ण प्रसाद जैसे वैज्ञानिकों की इस टीम ने खास तौर पर h-BN  नैनो फ्लेक्स का इस्तेमाल करके सॉल्यूशन प्रोसेस्ड डिपोजीशन टेक्नीक नामक यह प्रक्रिया प्लान की है। बड़े क्षेत्र में लिक्विड क्रिस्टल अलाइनमेंट हासिल करने में सफल होने के अलावा, टीम ने यह भी पाया कि परिणाम के तौर पर सामने आए क्रिस्टल कई महीनों तक लिक्विड क्रिस्टल ओरिएंटेशन में  ने घुलने के चलते मजबूत बने रहते हैं।

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