गजब ! अब ओजोन परत को नुकसान नहीं पहुंचाएगा हमारा ऐशो-आराम, इस टेक्नोलॉजी से चलेंगे एसी-फ्रिज

जलवायु परिवर्तन आज सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है। दुनियाभर के देश इससे निपटने पर काम कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा कारण ग्रीनहाउस गैसें हैं, जो आमतौर पर रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनिंग सिस्टम में पाई जाती हैं। जिसे खत्म करने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 5, 2023 7:16 AM IST / Updated: Jan 05 2023, 02:10 PM IST

टेक डेस्क : एशो आराम के लिए हम एसी और फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारा ये एशो आराम पर्यावरण खासकर ओजोन परत (ozone layer) के लिए खतरनाक होता है। इसका ऑप्शन अब वैज्ञानिकों (Scientists) ने ढूंढ लिया है। अगर सबकुछ सही रहा तो एसी-फ्रिज नई टेक्नोलॉजी (technology) से चलेगी और उससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा। आइए जानते हैं क्या है यह नई टेक्नोलॉजी और क्या है नया रिसर्च..

गजब की टेक्नोलॉजी
यूएस के लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी डिपार्टमेंट ने एक नया इंवेशन किया है। इसके मुताबिक, सर्दियां आने से पहले सड़कों पर नमक डालने से बर्फ बनने की जो प्रक्रिया होती है, उस पर असर पड़ता है। 23 दिसंबर, 2023 को साइंस जर्नल में पब्लिश एक रिपोर्ट में, रिसर्चर ने इस तरीके की जानकारी दी है। उन्होंने इसे बेहतर विकल्प माना है और इस इस प्रॉसेस को 'नॉन कैलोरिक कूलिंग' नाम दिया है।

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क्या कहता है रिसर्च
साइंटिस्टों के मुताबिक, जब भी कोई पदार्थ अपनी अवस्था को बदलता है तो ऊर्जा (energy) को या तो स्टोर करती है या फिर बाहर निकाल देती है। जैसे- ठोस बर्फ का पानी में बदलना.. नॉन- कैलोरिक कूलिंग की प्रक्रिया में इसी ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है। पिघलते समय मैटेरियल पर्यावरण से हीट एब्जॉर्ब करता है और जमने के दौरान हीट बाहर निकालता है। इसी मेथड से नॉन कैलोरिक कूलिंग के प्रक्रिया के दौरान सॉल्ट से निकले आयनों (इलेक्ट्रिक चार्ज एटम या मॉलीक्यूल्स) की मदद से इस फेज और टेंपरेचर के बदलाव की प्रॉसेस को पूरी करता है।

क्या वेपर कंप्रेशर की जगह लेगा नई टेक्नोलॉजी
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक एक दिन मौजूदा वेपर कंप्रेशन (vapor comprpession) सिस्टम की जगह ले लेगी। बता दें कि मौजूदा वेपर कंप्रेशन की वजह से रेफ्रिजरेंट के तौर में बहुत ज्यादा मात्रा में ग्लोबल वार्मिंग को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें हीटिंग और कूलिंग की जाती है। आम तौर पर, घरों में इस्तेमाल होने वाली कुल एनर्जी की मात्रा की आधे से ज्यादा एनर्जी का इस्तेमाल इसी में खर्च हो जाता है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।

क्या नई टेक्नोलॉजी बेहतर विकल्प
 रेफ्रिजरेंट्स की इस समस्या का अब तक कोई समाधान अब तक नहीं निकल पाया है, जो किसी सामान को ठंडा करता हो, सुरक्षित हो और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए। अगर सही तरीके से काम किया तो वैज्ञानिक नॉन कैलोरिक कूलिंग को अब तक का सबसे बेस्ट ऑप्शन मान रहे हैं। वातावरण में तेजी से हो रहे बदलावों को रोकने और ग्रीनहाउस इफेक्ट वाली गैसों का इस्तेमाल कम से कम करने में यह टेक्नोलॉजी काफी काम आ सकती है। बर्कले लैब के रिसर्चर अपनी इस नई खोज से काफी उत्साहित हैं। उनका दावा है कि यह तकनीकि हर पैमाने पर खरा उतर रही है।

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