
EMI Good or Bad: आजकल स्मार्टफोन, TV या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक आइटम लेना काफी आसान हो गया है। EMI फैसिलिटी हर शॉप और ऑनलाइन साइट पर उपलब्ध है। लोग बिना सोचे-समझे 40-50 हजार रुपए का सामान EMI पर ले आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि EMI पर खरीदारी करते समय ज्यादातर लोग कुछ कॉमन गलतियां कर बैठते हैं, जिससे जरूरत से ज्यादा खर्च हो जाता है, क्रेडिट स्कोर डाउन हो सकता है और भविष्य के लोन भी रुक सकते हैं। इस आर्टिकल में जानिए ईएमआई पर सामान खरीदते समय होने वाली सबसे आम 5 गलतियां और उनसे बचने के आसान तरीके...
बहुत से लोग 'Zero Cost EMI' देखकर फौरन खरीदारी कर लेते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि प्रोसेसिंग फीस (Processing Fees) या हिडेन चार्जेस (Hidden Charges) अक्सर छिपे होते हैं। सेलर MRP में डिस्काउंट नहीं देता, यानी आप छूट खो देते हैं। कई बार प्रोडक्ट का प्राइस EMI वालों के लिए ज्यादा होता है। इसलिए EMI लेने से पहले उस प्रोडक्ट की कैश प्राइस और ईएमआई प्राइस जरूर चेक कर लें।
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EMI का असली मकसद है सुविधा है, ना कि जरूरत से ज्यादा खर्च। लेकिन हम क्या करते हैं? 15,000 रुपए का बजट था, EMI देखकर 30,000 रुपए का फोन ले लिया। हर महीने EMI देने के चक्कर में बाकी जरूरी खर्चों पर असर पड़ता है। इसलिए हमेशा EMI को मंथली इनकम का 10-15% से ज्यादा न होने दें।
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फोन, TV, फ्रिज सबकुछ EMI पर लेने से हर महीने 4-5 ईएमआई कटती है। मिस्ड पेमेंट से क्रेडिट स्कोर खराब होता है, ब्याज और लेट फीस जुड़ती है। इसलिए कभी भी एक वक्त में 2 से ज्यादा EMI लेने से बचें।
बहुत से EMI प्लान में प्री-क्लोजर चार्जेस होते हैं। EMI चालू होने के बाद एकमुश्त पेमेंट पर भी एक्स्ट्रा चार्ज लग सकते हैं। इसलिए अगर आप जल्दी पेमेंट करने की सोच रहे हैं, तो प्री क्लोजर पॉलिसी जरूर जान लें।
हर EMI से पहले ईएमआई कैलकुलेटर की यूज करें। इसमें प्रोडक्ट कीमत, पीरियड (6, 12, 18 महीने) और ब्याज दर डालकर पता करें कि असल में वो प्रोडक्ट आपको कितने का पड़ेगा। इससे आप ज्यादा ब्याज चुकाने या महंगी चीजें खरीदने से बच सकते हैं।