टेक डेस्क। गूगल ने विलो नाम की एक नई क्वांटम चिप (Willow quantum chip) विकसित किया है। इसने जटिल कम्प्यूटेशनल समस्या का सिर्फ 5 मिनट में हल कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस काम को करने में दुनिया के सबसे तेज सुपरकंप्यूटरों को 10 सेप्टिलियन वर्ष लगेंगे। क्वांटम कंप्यूटिंग की यह बड़ी सफलता है। इसके साथ ही विलो ने बेंचमार्क एल्गोरिथम में फ्रंटियर सुपरकंप्यूटर को पीछे छोड़ दिया है। यह क्वांटम टेक्नोलॉजी में गूगल की बड़ी सफलता है।
विलो की क्षमता टेस्ट करने के लिए जिस एल्गोरिथ्म का इस्तेमाल किया गया उसे प्रैक्टिकल एप्लीकेशन की जगह विशुद्ध रूप से बेंचमार्किंग के लिए डिजाइन किया गया था। इसने चिप की अभूतपूर्व गति प्रदर्शित की। गूगल के अनुसार विलो को यह काम करने में चंद मिनट लगे। फ्रंटियर को यह काम करने में 10,000,000,000,000,000,000,000,000 वर्ष लगेंगे। यह ब्रह्मांड की आयु से भी अधिक है। विलो का यह प्रदर्शन 2019 में गूगल के पहले के दावों की तुलना में बड़ा सुधार है। उस समय कंपनी ने कहा था कि वह मिनटों में ऐसी समस्या का हल कर सकती है जिसे हल करने में पारंपरिक कंप्यूटरों को 10,000 साल लगेंगे।
विलो की सफलता में ए़डवांस क्वांटम एरर करेक्शन की बड़ी भूमिका है। बहुत अधिक गलती होना लंबे समय से क्वांटम कंप्यूटिंग की बड़ी बाधा रही है। क्वांटम इंफॉर्मेशन की मूल इकाइयां क्यूबिट्स अपने वातावरण के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होती हैं। इसके चलते इसके कैलकुलेशन में गलती होने की संभावना रहती है। इस कमी के चलते क्वांटम सिस्टम के विस्तार होने पर इसकी गणनाओं को ठीक रख पाना मुश्किल हो जाता है।
क्वांटम एरर करेक्शन से इस कमी को दूर की गई है। इस सुधार का विलो को लाभ मिला है। हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में गूगल ने बताया है कि कैसे विलो का क्वांटम एरर करेक्शन चिप को कम गलती के साथ बड़ी गणनाएं करने की अनुमति देता है।
गूगल की टीम ने दिखाया है कि क्यूबिट की संख्या बढ़ने पर गलती कम हुई है। यह 3x3 ग्रिड से बढ़कर एनकोडेड क्यूबिट के 7x7 ग्रिड तक पहुंच गई। गूगल क्वांटम एआई के संस्थापक हार्टमुट नेवेन ने कहा, "अगर आप एक समस्या का हल नहीं कर पाते हैं तो किसी उपयोगी समस्या का समाधान भी नहीं निकाल पाएंगे। यह अब पहुंच के भीतर आ रहा है।" बता दें कि गूगल का लक्ष्य अगले साल तक क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए वास्तविक दुनिया के उपयोग के मामले पेश करना है।
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