सार

इसरो ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोबा-3 सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। PSLV की यह 61वीं उड़ान थी और यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में पूर्ण सूर्यग्रहण का अध्ययन करेगा।

PROBA-3 satellite successfully launched by ISRO: इसरो के रॉकेट पीएसएलवी ने सफलतापूर्वक यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की प्रोबा-3 सैटेलाइट को लांच किया है। श्रीहरिकोटा से ईएसए के प्रोबा-3 उपग्रह को लांच किया गया। एक दिन पहले बुधवार को कुछ टेक्निकल ग्लिच की वजह से लांचिंग को रोक दिया गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस सफलता पर बधाई दी है।

पीएसएलबी की यह 61वीं उड़ान

भारत के लांच व्हिकल रॉकेट, पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) की यह 61वीं सफलतम उड़ान थी। इस बार इसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) द्वारा सैटेलाइट्स की एक जोड़ी को लांच करने का जिम्मा दिया गया था। इसके पीएसएलबी ने सफलतापूर्वक पूरा किया है।

प्रोबा-3 को पूर्ण सूर्यग्रहण के लिए डिजाइन किया गया

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) की सैटेलाइट प्रोबा-3 को अंतरिक्ष की कक्षा में पूर्ण सूर्यग्रहण के लिए भेजा गया है। यह सैटेलाइट उड़ान के माध्यम से पूर्ण सूर्य ग्रहण को फॉलो करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इसरो ने कहा कि पीएसएलवी, इसरो की कमर्शिययल ब्रांच न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) द्वारा आपरेट किया जाता है। कमर्शियल मिशन के हिस्सा के रूप में यह प्रोबा-3 अंतरिक्ष यान को अत्यधिक ओवल शेप ऑर्बिट में स्थापित करेगा।

क्या है प्रोबा-3 सैटेलाइट?

यूरोपीय स्पेस एजेंसी का प्रोबा-3 सैटेलाइट, उसके मिशन इन-ऑर्बिट प्रदर्शन (आईओडी) मिशन, के तहत भेजा गया है। यह एडवांस स्पेस लांच टेक्नोलॉजी के तहत सूर्यग्रहण को फॉलो करेगा। इसमें दो अंतरिक्ष यान शामिल हैं: कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (सीएससी) और ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (ओएससी)। इन्हें एक साथ स्टैक्ड कॉन्फ़िगरेशन में लॉन्च किया जाएगा।

पीएसएलवी 545 किलो वजन वाले दोनों उपग्रहों को अंतरिक्ष में लेकर गया है। रॉकेट की लंबाई 44.5 मीटर है। उपग्रहों को पृथ्वी से 600 किमी की ऊँचाई पर तैनात किया जाएगा। यह भारतीय रॉकेट पर ईएसए उपग्रह का दूसरा मिशन है। पहला, प्रोबा-1 मिशन, 2001 में PSLV का उपयोग करके लॉन्च किया गया था।

यह भी पढ़ें:

गगनयान: अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान, कब होगा लॉन्च? ISRO चीफ का ऐलान