
Independence Day 2025: इस साल भारत 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। 15 अगस्त के लिए खास तैयारियां की जा रही है। 1947 में आजाद हुआ भारत वैश्विक स्तर पर अपनी अलग पहचान बना चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं, जो देश आज डिजिटल दुनिया की तरफ तेजी से बढ़ रहा है, वहां इंटरनेट की शुरुआत कब हुई थी और इसने हर सेक्टर को बदलने में कैसे अपनी भूमिका निभाई। आइए आजादी के जश्न में जानते हैं इंटरनेट के सफर की पूरी कहानी।
डिजिट इन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सार्वजनिक रूप से इंटरनेट की शुरुआत 15 अगस्त 1995 को हुई थी। जिसे संचालित VSNL द्वारा किया जा रहा था। इंटरनेट की कीमत बहुत महंगी होने के साथ ही स्पीड भी बेहद कम थी। ये 9.6KBPS स्पीड के साथ चलता था, जिस कारण बहुत कम लोग इस्तेमाल करते थे। उस वक्त आम जनता के लिए नेट चलाना किसी सपने से कम नहीं था।
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बात 1986 की है, जब एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क (ERNET) की तरह कई इंस्टीट्यूट और शैक्षिक संस्थानों का आपस में जोड़ने का काम किया गया था। इस दौरान इंटरनेट का इस्तेमाल सीमित था और आम लोग शायद ही इसके बारे में जानते हों।
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90 के दशक में भले इंटरनेट ने भारत में दस्तक दे दी हो लेकिन स्पीड और कनेक्शन टूटने के कारण बहुत कम लोगों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता है। बावजूद इसके कुछ कंपनियों ने इंटरनेट आम जनता तक पहुंचाने की पहल शुरू की। 1998 में सत्यम इंफोवे (Satyam Infoway) नामक पहली कंपनी प्रकाश में आई। धीरे-धीरे बात ब्रॉडबैंड (Broadband) तक पहुंची, जहां इंटरनेट स्पीड और क्वालिटी में कई सुधार किए गए। वहीं डि2004 में भारत सरकार ने ब्रॉडबैंड नीति अपनाई और इंटरनेट को नई दिशा मिली।
दो हजार के दशक में मोबाइल इंटरनेट आने से भारत की दिशा बदली। 2G-3G और 4G नेटवर्क से आम लोगों तक डेटा पहुंचा और शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में इसका विस्तार किया गया।
2015 के बाद से भारत में इंटरनेट यूजर की संख्या में तेजी से वृद्धि देखने को मिली । 2023 तक भारत में 70 करोड़ से ज्यादा लोग फोन और डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं। खास बात है कि इनमें 40 करोड़ लोग ग्रामीण इलाकों से जुड़े हुए हैं। इसके साथ कभी भारत में 9KBPS की स्पीड से चलने वाले नेट की रफ्तार 100Mbps से ऊपर पहुंच चुकी है। सरकार ने डिजिटल इंडिया और तमाम अन्य मुहिम के जरिए भारतवासियों को डिजिटलीकरण से जोड़ने का प्रयास किया है।