Bhagat Singh Last Letter Before Hanging: भगत सिंह का फांसी से पहले लिखा आखिरी खत आज भी देशवासियों को जोश और देशभक्ति से भर देता है। जानिए Independence Day 2025 पर उनके अंतिम शब्द, सोच और बलिदान की पूरी कहानी।

Bhagat Singh Last Letter in Hindi: शहीद-ए-आजम भगत सिंह… ये नाम सुनते ही आंखों के सामने एक बहादुर, निडर और देश के लिए जान देने वाला नौजवान आ जाता है। 23 मार्च 1931 की वो शाम भारत के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई, जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। ये वही दिन था, जिसका इंतजार भगत सिंह लंबे समय से कर रहे थे। फांसी से एक दिन पहले यानी 22 मार्च 1931 को भगत सिंह ने अपनी आखिरी चिट्ठी लिखी थी। इस खत में उन्होंने साफ लिखा कि "साथियों स्वाभाविक है जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता हूं, लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैद होकर या पाबंद होकर न रहूं"। Independence Day 2025 पर जानिए भगत सिंह की आखिरी चिट्टी की पूरी डिटेल और देश के नाम उनका संदेश।

आखिरी खत में क्या लिखा था भगत सिंह ने?

भगत सिंह ने लिखा था- "साथियों, जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, यह स्वभाविक है और मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन मेरी एक ही शर्त है, मैं कैद होकर या पाबंद होकर नहीं जी सकता। मेरा नाम अब हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है। अगर मैं हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ जाऊं, तो देश की माताएं अपने बच्चों को भगत सिंह बनने की प्रेरणा देंगी। इससे आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को कोई नहीं रोक पाएगा। अब मुझे खुद पर गर्व है और बेसब्री से अपनी अंतिम परीक्षा का इंतजार है।"

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी से पहले कैसा था जेल का माहौल

23 मार्च 1931 की शाम लाहौर सेंट्रल जेल में सन्नाटा पसरा था, लेकिन कैदियों के दिलों में गम और गर्व दोनों थे। फांसी से पहले जेल के नियम के मुताबिक तीनों क्रांतिकारियों को नहलाया गया, नए कपड़े पहनाए गए और जल्लाद के सामने पेश किया गया। यहां उनका वजन भी लिया गया और हैरानी की बात ये थी कि फांसी का ऐलान होने के बाद भी भगत सिंह का वजन बढ़ गया था।

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भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी से पहले क्या थी आखिरी इच्छा और नारा

फांसी से कुछ देर पहले तीनों से उनकी आखिरी ख्वाहिश पूछी गई। सभी ने एक साथ कहा- हम आपस में गले मिलना चाहते हैं। इजाजत मिलते ही तीनों एक-दूसरे को कसकर गले लगा लिया। इसके बाद बुलंद आवाज में भगत सिंह ने नारा लगाया "इंकलाब जिंदाबाद" और देशवासियों को संदेश दिया- “अपने बारे में सोचना बंद करो, व्यक्तिगत आराम के सपने छोड़ दो। साहस, दृढ़ता और मजबूत संकल्प के साथ आगे बढ़ो। मुश्किलें आएंगी, धोखे मिलेंगे, दर्द और बलिदान सहने पड़ेंगे, लेकिन यही तुम्हें जीत दिलाएंगे।”

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