भारत में 4-6 दिसंबर 2023 तक Carnegie India’s eighth Global Technology Summit का आयोजन किया जाएगा। भारत सरकार के नीति नियोजन और अनुसंधान प्रभाग व विदेश मंत्रालय द्वारा इसकी सह मेजबानी की जा रही है। एशियानेट न्यूज इसका मीडिया पार्टनर है।
भारत में 4-6 दिसंबर 2023 तक ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट (Carnegie India’s eighth Global Technology Summit) का आयोजन किया जाएगा। भारत सरकार के नीति नियोजन और अनुसंधान प्रभाग व विदेश मंत्रालय द्वारा इसकी सह मेजबानी की जा रही है। एशियानेट न्यूज इसका मीडिया पार्टनर है। इस आर्टिकल के लेखक हैं- विवेक अब्राहम, वरिष्ठ निदेशक, एक्सटर्नल स्ट्रेटजी-इंडिया एंड साउथ एशिया, सेल्सफोर्स।
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एक शौकिया टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में मैं उस गति से प्रभावित हुआ हूं जिस गति से टेक्नोलॉजी बदल रही है। 2022 में शायद ही किसी ने जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेन एआई) के बारे में सुना होगा। 2023 में दुनिया भर की कंपनियां तेजी से अपनी जेन एआई रणनीतियों को लागू कर रही हैं। सरकारें संभावित जोखिमों और अवसरों के लिए इस तकनीक की बारीकी से निगरानी कर रही हैं।
जनरल एआई का चलन चाहे जो भी दिशा ले, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि (एआई) अब भविष्य की तकनीक नहीं है। यह हमारे जीवन के लगभग हर पहलू में शामिल हो गई है। AI ने हमारे जीवन को स्थायी रूप से बदल दिया है। मोबाइल फोन से लेकर सोशल मीडिया इस्तेमाल करने तक, हम रोज AI यूज कर रहे हैं। जेनेटिक, फार्मास्युटिकल रिसर्च, ई-कॉमर्स इकोसिस्टम और डिफेंस सिस्टम से लेकर सेल्फ-ड्राइविंग कारों तक, हर क्षेत्र में AI यूज हो रहा है।
ग्लोबल टेक्नोलॉजी लीडर के रूप में भारत विश्व एआई अर्थव्यवस्था चलाने के लिए तैयार है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार देश में एआई का बाजार 2025 तक 7.8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
AI के नैतिक विचार
AI लगातार हमारी दुनिया को बदल रहा है। इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि AI की विकास प्रक्रिया में इससे होने वाले नुकसान को रोकने के नैतिक विचार केंद्रीय हों। AI मॉडल बनाने वाले और इसके यूजर्स को जवाबदेही, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर देते हुए भरोसेमंद तकनीक के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
1. नैतिकता के साथ डिजाइन मानसिकता का विकास करना: नैतिक AI विकसित करने के लिए संगठनों के भीतर आलोचनात्मक सोच की संस्कृति को शामिल करने की आवश्यकता है। नैतिक चिंताओं के समाधान के लिए किसी एक समूह पर निर्भर रहना वास्तविक नहीं है। इसके बदले डिजाइन द्वारा नैतिकता के दृष्टिकोण को अपनाने का अर्थ है संस्कृतियों, पृष्ठभूमि, लिंग और विशेषज्ञता क्षेत्रों तक फैले विविध दृष्टिकोणों से अंतर्दृष्टि प्राप्त करना।
2. पारदर्शिता के माध्यम से बेस्ट प्रैक्टिस लागू करना: लैब में एआई विकसित कर इसके रियल दुनिया के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करना मुश्किल है। कोई भी AI प्रोडक्ट बनाने के दौरान जवाबदेही संबंधी प्रश्नों पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए पारदर्शिता जरूरी है। स्टेक होल्डर्स के साथ सही जानकारी शेयर करना जिम्मेदार AI के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें डेटा गुणवत्ता का मूल्यांकन करना और ट्रेनिंग डेटा से प्रभावी पूर्वाग्रह उन्मूलन सुनिश्चित करना शामिल हो सकता है। शिक्षाविदों, उद्योग पेशेवरों और नेताओं सहित बाहरी विशेषज्ञों के साथ सहयोग करने से अच्छे रिजल्ट मिलते हैं।
3. ग्राहकों को नैतिक विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाना: संगठनों को ग्राहकों और यूजर्स को टेक्नोलॉजी का सुरक्षित और जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने के लिए टूल्स देना चाहिए। उदाहरण के लिए यूजर्स को कुछ सूचना को संवेदनशील के रूप में लेबल करने की अनुमति देना महत्वपूर्ण है। उम्र, नस्ल या लिंग से संबंधित डेटा पर नियामक प्रतिबंधों के कारण यह विशेष रूप से प्रासंगिक है। क्योंकि ये डेटा फील्ड एआई मॉडल में पूर्वाग्रह ला सकते हैं।
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
भारत की एआई यात्रा तेजी से होने वाली प्रगति की कहानी है। भारत दुनिया के पहले देशों में से एक है जिसने नेशनल AI एथिक्स प्रिंसिपल डॉक्यूमेंट का मसौदा विकसित किया है। इसमें जवाबदेही, खुलेपन, न्याय और सुरक्षा पर जोर देने के साथ ही देश में एआई के निर्माण और इस्तेमाल से जुड़े गाइडलाइन दिए गए हैं।
इन प्रमुख क्षेत्रों में प्रभाव डालने के लिए तैयार है एआई
1. आर्थिक विकास: एआई भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डालने के लिए तैयार है। फरवरी 2023 में सेल्सफोर्स ने अपना डिजिटल स्किल्स सर्वे किया था। इसमें ग्यारह देशों के 11,035 कामकाजी वयस्कों को शामिल किया गया था। सर्वे से पता चला कि 93% भारतीय कर्मचारी अपनी नौकरियों में एआई का उपयोग करने को लेकर उत्साहित हैं। इतने ही प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्हें पता है कि AI का उनके काम पर क्या प्रभाव पड़ेगा। रवैये में इस बदलाव से कृषि, स्वास्थ्य सेवा, मैन्युफैक्चरिंग और खुदरा जैसे क्षेत्रों को लाभ होने की उम्मीद है।
2. रोजगार निर्माण: AI के चलते नौकरी में बदलाव की चिताएं हैं। यह रूटीन के काम ऑटोमैटिक कर नए अवसर पैदा करेगा। इससे कार्यबल रचनात्मक और रणनीतिक भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। सेल्सफोर्स और आईडीसी की रिपोर्ट के अनुसार 2028 तक AI के चलते 11.6 मिलियन नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
3. सामाजिक आर्थिक समावेशन: एआई सामाजिक-आर्थिक अंतर को पाट सकता है। यह स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकता है।
4. स्मार्ट प्रशासन: एआई शासन को बढ़ाता है। इससे यातायात प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी।
AI के लिए आगे का रास्ता
एआई की प्रगति ने जबरदस्त संभावनाएं और क्षमता दिखाई हैं। आने वाले समय में सावधानीपूर्वक रेगुलेशन के साथ नैतिक और जिम्मेदारी से एआई का निर्माण करना होगा। रेगुलेशन एआई डेवलपर्स और यूजर्स के लिए सटीक मापदंडों, नैतिक मानकों और जिम्मेदारियों को परिभाषित कर सकता है। इससे एआई द्वारा पैदा होने वाली गोपनीयता आक्रमण, पूर्वाग्रह या गलत जानकारी जैसे संभावित खतरों को कम करने में सहायता मिलेगी। इसके साथ ही भारत को एआई की क्षमता यूज करने के लिए शिक्षा और कौशल के क्षेत्र में निवेश करना होगा। स्किल इंडिया जैसी पहल इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसकी मदद से एआई कौशल देने के लिए ट्रेनिंग और फ्री ऑनलाइन कोर्स चलाए जा सकते हैं।
कुल मिलाकर, एआई से संबंधित इनोवेशन और नैतिकता के अंतर्संबंध को सावधानीपूर्वक तलाशने की जरूरत है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि टेक्नोलॉजी मानवता के हितों की सेवा करती है। यह समानता, पारदर्शिता और जवाबदेही के मूल्यों का पालन करती है।
लेखक के बारे में
विवेक अब्राहम, सेल्सफोर्स में रीजनल डायरेक्टर के रूप में एक्सटर्नल स्ट्रेटेजी की जिम्मेदारी संभालते हैं। उनका कार्यक्षेत्र भारत और साउथ एशिया है। स्टेकहोल्डर्स के साथ कंपनी की स्ट्रेटेजिक पहल की जिम्मेदारी निभाने के साथ इंडिया लीडरशिप टीम का भी हिस्सा हैं। https://www.salesforce.com/in/blog/author/vivek-abraham/