गूगल प्रोडक्ट्स में खोजी ये 'खामी', कानपुर के लड़के को इनाम में मिले 3.78 लाख रुपए

एथिकल हैकिंग टेक्नोलॉजी का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें महारत रखने वाले लोग बड़ी टेक्नोलॉजिकल कंपनियों के प्रोडक्ट्स में बग या सिक्युरिटी से जुड़ी दूसरी खामियां निकाल कर भारी-भरकम कमाई करते हैं। 

टेक डेस्क। एथिकल हैकिंग टेक्नोलॉजी का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें महारत रखने वाले लोग बड़ी टेक्नोलॉजिकल कंपनियों के प्रोडक्ट्स में बग या सिक्युरिटी से जुड़ी दूसरी खामियां निकाल कर भारी-भरकम कमाई करते हैं। एथिकल हैकिंग को मान्यता प्राप्त है। इसकी बाकायदा ट्रेनिंग भी दी जाती है। कई बड़ी कंपनियां एथिकल हैकर्स की सेवाएं लेती हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में रहने वाले राहुल सिंह भी एथिकल हैकर हैं। हैंकिंग में इन्हें  महारत हासिल है। हैकर्स अक्सर बड़ी कंपनियों के सिस्टम पर हमला कर जरूरी जानकारियां हासिल कर लेते हैं, लेकिन एथिकल हैकर्स ऐसा नहीं करते। वे अपनी तकनीकी जानकारी का इस्तेमाल अच्छे काम के लिए करते हैं। लॉकडाउन के दौरान राहुल सिंह ने हैकिंग की अपनी जानकारी का इस्तेमाल करते हुए गूगल के प्रोडक्ट्स में तीन बग खोज निकाले।

गूगल ने दिया इनाम
एक महीने के भीतर गूगल के प्रोडक्ट्स में तीन बग का पता लगाने के लिए कंपनी ने राहुल सिंह को रिवॉर्ड के तैर पर 5000 डॉलर (करीब 3,78,000 रुपए) दिए। गूगल कंपनी बग बाउंटी प्रोग्राम चलाती है और अपने प्रोडक्ट्स में खामी निकालने वाले हैकर्स को इनाम देती है। यह गूगल का ओपन फोरम है, जिसमें  Vulnerability Reward Program Rules के तहत हैकर्स को खामियों का पता लगाने पर नकद इनाम दिया जाता है। 

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लॉकडाउन में किया यह काम
गूगल प्रोडक्ट्स में बग खोजने का काम राहुल सिंह ने लॉकडाउन में किया। इस दौरान वे दिल्ली में थे। खाली समय में उन्होंने गूगल के प्रोडक्ट्स में बग की तलाश शुरू की। पहली बार बग रिपोर्ट देने पर उन्हें 500 डॉलर का इनाम मिला। दूसरी बार 100 डॉलर मिले। जब उन्होंने तीसरी बार बग का पता लगाया तो उन्गें 3,133.7 डॉलर गूगल कंपनी की ओर से दिए गए। 

इस काम में लगे 10 दिन
राहुल सिंह को इससे पहले कोविड-19 वल्नेरबेलिटी रिसर्च से जुड़े प्रोग्राम में भी अमेरिका की एक मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी कंपनी से 1,337 डॉलर का इनाम मिल चुका है। राहुल सिंह  UPTU और कानपुर यूनिवर्सिटी के सर्वर को भी हैक कर चुके हैं और उसकी एक्सेस पा चुके हैं। गूगल प्रोडक्ट्स में खामियों का पता लगाने में उन्हें 10 दिन लगे। इसके लिए वे रोज 2 से 3 घंटे का समय देते थे। राहुल बताते हैं कि हैकिंग की प्रेरणा उन्हें हॉलीवुड फिल्मों से मिली। राहुल ने 2020 में ही बीटेक किया है और अब एथिकल हैकिंग पर ही काम कर रहे हैं। 

 

 
 

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