बच्चे के माता-पिता के मुताबिक, उन्होंने देखा कि लड़का खेल रहा था। इसी दौरान उसने गलती से गणेश की मूर्ति को निगल लिया। इसके तुरंत बाद उनके गले में दर्द हुआ और लार को निगलने में भी कठिनाई हो रही थी।
बेंगलुरु में 3 साल के बच्चे के साथ एक चौंकाने वाली घटना हुई। उसने गलती से 4 सेंटीमीटर लंबी गणेश मूर्ति निगल लिया था। मूर्ति निगले के बाद से ही बच्चे की तबीयत खराब होने लगी। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। गला तेजी से दर्द करने लगा। लार तक गटकने में दिक्कत होने लगी। बच्चे के माता-पिता उसे तुरन्त पास के हॉस्पिटल में ले गए।
बच्चे के पेट से निकाली गई मूर्ति
लड़के को एक मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां मूर्ति को निकाल लिया गया। 3 साल के बच्चे को कथित तौर पर उसी दिन हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया। अभी वह ठीक है। लेकिन आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर बच्चे के पेट से मूर्ति निकाली कैसे गई?
खेलने के दौरान निगली मूर्ति
बच्चे के माता-पिता के मुताबिक, उन्होंने देखा कि लड़का खेल रहा था। इसी दौरान उसने गलती से गणेश की मूर्ति को निगल लिया। इसके तुरंत बाद उनके गले में दर्द हुआ और लार को निगलने में भी कठिनाई हो रही थी।
खाने की नली के ऊपरी हिस्से में फंसी थी मूर्ति
लड़के को सुबह करीब 8.39 बजे बेंगलुरु के ओल्ड एयरपोर्ट रोड पर मणिपाल हॉस्पिटल ले जाया गया। जब डॉक्टरों ने लड़के की जांच की तो पाया कि मूर्ति खाने की नली के ऊपरी हिस्से में फंसी हुई है।
एंडोस्कोपिक के जरिए निकाली मूर्ति
लगभग 9:30 बजे एंडोस्कोपिक के जरिए मूर्ति को उसके खाने की नली से निकाला गया। इसके बाद लड़के को तीन घंटे तक निगरानी में रखा गया और उसी दिन शाम को छुट्टी दे दी गई।
शुरुआत में छाती में दर्द हुई
शुरुआत में लड़के को छाती के ऊपरी हिस्से में दर्द हुआ। छाती और गर्दन का एक्स-रे किया गया। मणिपाल हॉस्पिटल्स के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉक्टर श्रीकांत केपी ने कहा कि रिपोर्ट में मूर्ति साफ दिख रही थी।
इसके बाद डॉक्टरों ने एंडोस्कोपिक करने का फैसला किया। एक घंटे के भीतर मूर्ति के बाहर निकाल लिया गया। मूर्ति को खाने की नली से पेट में धकेल दिया गया और वहां से निकाल लिया गया।
डॉक्टर से पूछा गया कि मूर्ति को दूसरी जगह क्यों हटाना पड़ा? तब उन्होंने जवाब दिया कि मूर्ति को सीधे खाने की नली से हटाने से चोट लग सकती थी और बच्चे के लिए घातक साबित हो सकता था। ऐसे मामलों में हम खाने की नली में तेज वस्तुओं से बचने की कोशिश करते हैं। इसलिए हमने मूर्ति को पेट के नीचे धकेल दिया। फिर एंडोस्कोपी के जरिए बाहर निकाला।