भारत में 6 मिलियन टन 'सफेद सोना' मिलने से उड़ी अमेरिका-चीन की नींद, जानें इतने लीथियम की कितनी कीमत हो सकती है और हमें होगा क्या फायदा?

लीथियम एक नॉन फैरस मेटल (Non Ferrous Metal) है। इसे मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों समेत कई कई अलग-अलग चीजों की बार-बार चार्ज की जाने वाली बैट्ररी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

ट्रेंडिंग डेस्क. लीथियम यानी सफेद सोना, भारत में पहली बार लीथियम (Lithium) का विशाल भंडार मिलने से पूरी दुनिया की निगाहें अब देश की ओर हैं। लीथियम को सफेद सोना इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये लीथियम बैटरी में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख तत्व है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसके एक ग्राम की कीमत 250 से 1200 रु प्रति ग्राम तक होती है। वहीं जम्मू-कश्मीर के रियासी में इसका विशाल भंडार मिलने से भारत विश्व में सबसे ज्यादा लीथियम भंडार वाला तीसरा देश बन गया है। अमेरिका व चीन इस मामले में काफी पीछे हो गए हैं और इससे इन देशों की चिंता बढ़ गई है।

लीथियम भंडार के मामले में ये हैं नंबर वन देश

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Statista 2022 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा लीथियम का भंडार चिली देश के पास है। चिली 9.3 मिलियन टन लीथियम के साथ पहले, ऑस्ट्रेलिया 6.2 मिलियन टन के साथ दूसरे नंबर पर है। वहीं 2.7 मिलियन टन लीथियम के साथ तीसरे नंबर पर मौजूद अर्जेंटीना को भारत ने पीछे छोड़ तीसरा स्थान हासिल कर लिया है। भारत के पास 5.9 मिलियन टन लीथियम है। वहीं अमेरिका व चीन पास क्रमश : 1 व 2 मिलियन टन ही लीथियम है।

भारत की चमकी किस्मत

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार का पूरा फोकस पहले से ही ईवी (Electric Vehicles) पर था। पर अब इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों में लगने वाली लीथियम बैट्रियों के लिए भारत को चीन और अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। भारत वाहनों की लीथियम बैट्री से लेकर मोबाइल फोन की लीथियम बैट्री बनाने के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है, इससे इन चीजों की कुल लागत में भी कमी आएगी और आम आदमी तक ये चीजें और कम दाम में पहुंचेंगी। इतना ही नहीं, भारत अब चीन और ऑस्ट्रेलिया की तरह दूसरे देशों को भी लीथियम एक्सपोर्ट कर सकेगा। यही वजह है कि अब चीन व अमेरिका की नींदें उड़ी हुई हैं।

कहां-कहां होता है लीथियम का इस्तेमाल?

लीथियम एक नॉन फैरस मेटल (Non Ferrous Metal) है। इसे मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों समेत कई कई अलग-अलग चीजों की बार-बार चार्ज की जाने वाली बैट्ररी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अबतक भारत 96 प्रतिशत लीथियम दूसरे देशों से इंपोर्ट कर रहा था, जिसमें से 80 प्रतिशत इंपोर्ट चीन से किया जा रहा था। भारत में मिले 5.9 मिलियन टन 'सफेद सोने' (लीथियम) के भंडार से चीन को बड़ा धक्का लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में मिले लीथियम की अनुमानित कीमत 3500 अरब रु हो सकती है।

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