
Bengaluru Traffic: भारत का टेक कैपिटल बेंगलुरू एक बार फिर ट्रैफिक जाम के लिए सुर्खियों में है। वर्क फ्रॉम होम खत्म होने के बाद ऑफिस लौटने को मजबूर कर्मचारियों के लिए यह शहर अब स्वर्ग नहीं, संघर्ष का मैदान बन चुका है। जाम से जूझते हुए ऑफिस पहुंचने का संघर्ष कर रहे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का पोस्ट वायरल हो रहा है। उसने बेंगलुरू के आउटर रिंग रोड को फास्ट लेन नहीं बल्कि फ्रस्ट्रेशन रूट करार दिया है।
साफ्टवेयर इंजीनियर ने कहा कि Outer Ring Road: अब Fast Lane नहीं, 'Frustration Route' बन चुका है। उसने Reddit के r/Bangalore सबरेडिट में लिखा: 25 किलोमीटर दूर से ऑफिस जाना अब endurance टेस्ट बन गया है। Outer Ring Road मेरा रास्ता नहीं, मेरी सजा है।
पोस्ट में उन्होंने बताया कि बस में सवार लोग एक-दूसरे पर गिर रहे हैं। ड्राइवर खुद मानसिक रूप से ऑफिस छोड़ने की कगार पर हैं और कंडक्टर ऐसे बात करते हैं जैसे किराया नहीं, किराया+EMI देना हो।
यूज़र ने लिखा कि उन्हें Nagawara Junction फ्लाईओवर पर गलत जगह उतार दिया गया, जहां न फुटपाथ था न क्रॉसिंग। उन्हें दौड़कर दूसरी साइड पहुंचना पड़ा और दूसरी बस पकड़नी पड़ी। उसने लिखा: ये बस की सवारी नहीं, इंट्रोवर्ट्स के लिए टीम-बिल्डिंग, बहादुरों के लिए कार्डियो और सबके लिए धैर्य परीक्षा है।
एक यूजर ने लिखा: सही बात लेकिन बेंगलुरू कमजोर लोगों के लिए नहीं है। दूसरे ने कहा, "पहले Bangalore luxury था, अब सिर्फ survival है। तीसरे ने जोड़ा कि 3 बजे के बाद auto/cab वाले दोगुना किराया मांगते हैं। ऑफलाइन बात करो तो लूटते हैं।
दरअसल, बेंगलुरू में देश-दुनिया की टॉप आईटी और टेक कंपनियां हैं। तेज़ी से अर्बनाइजेशन, तेजी से बढ़ रही आईटी इंडस्ट्री, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स ने मिलकर बेंगलुरु को ट्रैफिक के जाल में उलझा दिया है। बढ़ते ट्रैफिक से सड़कें सकरी हो गई हैं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बसें नाकाफी हैं, दूसरी ओर शहर को स्मार्ट बनाने के चक्कर में निर्माण कार्य लगातार जारी है लेकिन स्लो डेवलपमेंट वर्क भी परेशानी पैदा कर रहा।