मिलिए Worm Rani वाणी मूर्ति से, एक छोटी शुरुआत ने बनाया चेंजमेकर, नेशनल जियोग्रॉफिक ने भी रखा अपने कैंपेन में

बेंगलुरु की वाणी मूर्ति (Vani Murthy) आज हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत हैं। गीला कचरा कैसे हमारे पर्यावरण, जिसमें हवा, मिट्टी और पानी तीनों शामिल है, को नुकसान पहुंचा रहा है, यह जानने के बाद उन्होंने अपने घर से एक पहल की। यह अब बड़ा अभियान बन चुका है। वाणी आज  अपने नाम से कम और वर्म रानी (Worm Rani) के तौर पर ज्यादा मशहूर हैं। 

नई दिल्ली। बेंगलुरु की रहने वाली मशहूर पर्यावरणविद् (Famous Environmentalist) वाणी मूर्ति (Vani Murthy) को आज लोग उनके इस नाम से कम और वर्म रानी (Worm Rani) नाम से ज्यादा जानते हैं। एक गृहणी से चेंजमेकर (Changemaker) बनने तक का उनका सफर ज्यादा लंबा नहीं है। करीब 13 साल पहले मवल्लीपुरा लैंडफिल साइट को देखने के बाद उन्होंने तय कर लिया था कि आगे उन्हें क्या करना है। मूर्ति ने तब यह संकल्प भी ले लिया था कि आज इस 40 टन वाले कचरे के ढेर पर उनके घर का कूड़ा नहीं आएगा। 

60 वर्षीय मूर्ति ने तब से तय कर लिया था कि वे अपने घर के कूड़े का निपटारा घर के अंदर ही करेंगी और इसके लिए वह जरूरी खाद बनाएंगी। खुद जब उन्होंने इसे किया और इसमें सफलता मिली, तब सोशल मीडिया पर आकर देश और दुनिया को भी अपने इस बदलाव कि न सिर्फ जानकारी दी बल्कि, उन्हें भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। 

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इंस्टाग्राम रील्स बनाकर लोगों को प्रेरित करती हैं मूर्ति 
मूर्ति 2007 से ही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। पहले वह फेसबुक पर ज्यादा एक्टिव थीं। कचरे से खाद बनाना और इसके फायदे के बारे में बताते हुए छोटे-छोटे क्लिप पोस्ट करती थीं। मगर बाद में वह इंस्टाग्राम पर स्विच कर गईं। आज इंस्टाग्राम पर उनके करीब दो लाख 30 हजार फॉलोवर हैं। यहां वे इंस्टाग्राम रील्स बनाकर कचरे से खाद के विभिन्न प्रारूप को पोस्ट करती हैं। 

नेशनल जियोग्रॉफिक के वन फॉर चेंज अभियान में शामिल 
यही नहीं, हाल ही में नेशनल जियोग्रॉफिक ने उन्हें गृहणी से चेंजमेकर बनने पर वन फॉर चेंज अभियान में शामिल भी किया था। बीते 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस पर नेशनल जियोग्रॉफिक ने डाक्यूमेंट्री फिल्म के जरिए ऐसे कई चेंजमेकर्स की सीरीज जारी की, जिसमें इन सकारात्मक योद्धाओं की असाधारण कहानियां शेयर की गई हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे इन्होंने दुनिया को बेहतर जगह बनाने के लिए कई असाधारण काम कर रहे हैं। 

कचरे से खाद क्यों 
मूर्ति के मुताबिक, ज्यादातर लोग मानते हैं कि खाद बनाना बदबूदार प्रक्रिया है। इसे बनाने में काफी समय लगता है, ध्यान देने की जरूरत होती है और जगह भी काफी चाहिए और गंदगी होगी, वह अलग। इन चीजों को लोग बड़ी अड़चन मानते हैं और इसलिए कचरे से खाद बनाने से बचते हैं। मगर ऐसा नहीं है। खाद बनाना एक अच्छा विकल्प है। इसके लिए आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि गीला कचरा किस तरह से हमें और हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। 

हवा, पानी और मिट्टी तीनों को प्रदूषित करता है गीला कचरा 
मूर्ति के अनुसार, हमारे कुल घरेलू कचरे का करीब 60 प्रतिशत गीला कचरा होता है। इसकी जरूरत मिट्टी में मिलने की है कि न कि लैंडफिल में। खासकर, गीला कचरा जब आपके घर से निकलकर लैंडफिल पर जाता है, तब यह खतरनाक स्वरूप में आ जाता है। वहां यह धीरे-धीरे सड़ता है और मीथेन गैस उत्सर्जित करता है, जो ग्लोबल वार्मिंग की बड़ी वजह है और ग्रीन हाउस गैसों में से एक है। मगर ऐसा नहीं है कि इस तरह गीले कचरे से सिर्फ हवा ही प्रदूषित होती है बल्कि यह भूजल और मिट्टी पर भी असर डालता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया जरूर शुरू की जाए और हम सभी यह कर सकते हैं। 

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