देहरादून में भी हो चुका है श्रद्धा जैसा कांडः पत्नी का मर्डर- स्टोन कटर से बॉडी को 72 टुकड़ों में काटा

दिल्ली मामले में जहां आफताब ने प्रेमिका के 35 टुकड़े कर दिए थे तो वहीं देहरादून के राजेश ने पत्नी को खौफनाक मौत देकर उसके 72 टुकड़े कर दिए थे।

Piyush Singh Rajput | Published : Nov 16, 2022 5:13 AM IST / Updated: Nov 16 2022, 11:58 AM IST

ट्रेंडिंग डेस्क. दिल्ली में प्रेमिका की हत्या कर 35 टुकड़े करने वाले खौफनाक मामले ने 12 साल पहले हुए ऐसे ही हत्याकांड की यादें ताजा कर दी हैं। दिल्ली मामले में जहां आफताब ने प्रेमिका के 35 टुकड़े कर दिए थे, तो वहीं देहरादून के राजेश ने पत्नी को खौफनाक मौत देकर उसके 72 टुकड़े कर दिए थे। शॉकिंग मर्डर सीरीज में जानें इस हत्याकांड के बारे में...

अमेरिका से लौटकर कर दी थी हत्या

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे राजेश ने दिल्ली की अनुपमा गुलाटी से 1999 में लव मैरिज की थी। इसके अगले ही साल राजेश अपनी जॉब के चलते अमेरिका चला गया था। अमेरिका में 6 साल रहने के बाद वह अपनी पत्नी के साथ देहरादून में बस गया। जबतक अनपुमा ससुराल में रहती थी तबतक उसकी मायके फोन पर रोज बात होती थी लेकिन देहरादून शिफ्ट होने के बाद 17 अक्टूबर 2010 से उसके फोन आना बंद हो चुके थे। यही वजह थी कि एक दिन अनुपमा का भाई उसके देहरादून वाले घर पहुंचा।

दो महीने बाद हुआ अनुपमा की हत्या का खुलासा

बहन से लगातार संपर्क साधने की नाकाम कोशिशों के बाद उसका भाई पुलिस के साथ 12 दिसंबर 2010 को देहरादून पहुंच गया। पहले तो राजेश ने किसी को अंदर नहीं घुसने दिया पर पुलिस की सख्ती के बाद खौफनाक घटना सामने आई। राजेश ने अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की झगड़े के बाद बेरहमी से हत्या कर दी थी। उसने पत्नी के शव को स्टोन कटर और आरा से 72 टुकड़ों में काटा और कई दिनों के लिए डीप फ्रीजर में रख दिया था। दिल्ली मामले की तरह राजेश अपनी पत्नी के शव के टुकड़ों को रोज मसूरी के जंगलों और नालों में फेंकने जाया करता था।

राजेश को आजीवन कारावास की सजा

2017 में देहरादून के जिला सत्र न्यायालय ने अनुपमा गुलाटी की नृशंस हत्या के मामले को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा। इस हत्या के आरोपी और अनुपमा के पति राजेश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वर्तमान में भी राजेश गुलाटी जेल में है। हालांकि, स्वास्थ्य खराब होने की वजह से उसे इसी साल जुलाई और सितंबर में कुल 55 दिन की जमानत मिली थी। इसके बाद एक और पेरोल याचिका लगाई गई, जिसे नहीं बढ़ाया गया। राजेश हत्याकांड मामले को देख रहे तत्कालीन एसपी गणेश सिंह मर्तोलिया ने मीडिया से चर्चा में कहा था कि मैंने इतना भयानक हत्याकांड अपने करियर में नहीं देखा था। इस तरह की हत्याएं अचानक नहीं होतीं बल्कि लगातार होते झगड़ों से व्यक्ति क्रूर मानसिकता के हो जाते हैं। दंपति झगड़ों को समय रहते सुलझा लें तो ऐसे भयानक हत्याकांड रोके जा सकते हैं।

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