कौन है ये महंत, जिन्होंने गुस्से में मंच से ही कहा- माफ करें, मैं इस धर्म संसद से खुद को अलग करता हूं

Dharm Sansad: महंत राम सुंदर दास जब राजनीति में आए तो उन्होंने कहा था, राजनीति सेवा का सबसे सशक्त मध्यम है। साल 2003 में उन्होंने छत्तीसगढ़ के पामगढ़ से विधान सभा चुनाव जीता।

Asianet News Hindi | Published : Dec 27, 2021 4:22 AM IST / Updated: Dec 27 2021, 10:21 AM IST

नई दिल्ली. हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक धर्म संसद चली, जिसमें साधु-संतों के दिए गए भाषण के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हालांकि हरिद्वार के अलावा देश के दूसरे राज्यों में भी धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है। रविवार को रायपुर में इसी कार्यक्रम में कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया, जिसके बाद वहां पर मौजूद महंत राम सुंदर दास ने नाराजगी जताई और कहा कि मैं इस धर्म संसद से खुद को अलग करता हूं।

मंच से भी भड़क गए महंत राम सुंदर दास
महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल के बाद महंत राम सुंदर दास मंच पर आए। उन्होंने कहा, मैं आप सबसे पूछना चाहता हूं इस बात को कि इस धर्म संसद के मंच से जो बात कही गई। जिसपर आप सबने खूब ताली बजाई थी। क्या महात्मा गांधी सही में गद्दार थे? टीवी का रिकॉर्ड है। आप सब देखिए। यही शब्द कहा गया था। ताली और थाली खूब बजी थी। 1947 की वह घटना याद करिए। जिस परिस्थितवस भारत स्वतंत्र हुआ। महात्मा गांधी ने क्या कुछ नहीं किया। अब उनके विषय में इस धर्म संसद से ऐसी बात? मैं बहुत क्षमा चाहता हूं आप सब से। लेकिन इस धर्म संसद से मैं खुद को अलग करता हूं। महंत रामसुंदर दास कांग्रेस के पूर्व विधायक और छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं।

महंत राम सुंदर दास जब राजनीति में आए तो उन्होंने कहा था, राजनीति सेवा का सबसे सशक्त मध्यम है। साल 2003 में उन्होंने छत्तीसगढ़ के पामगढ़ से विधान सभा चुनाव जीता। फिर से साल 2008 में उन्होंने जयजयपुर से जीत हासिल की। 2013 में उसी क्षेत्र से बहुत ही कम अंतर से हार गए थे।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धर्म संसद के दौरान कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद कांग्रेस सहित दूसरे नेताओं ने तीखी आलोचना की। कालीचरण ने कहा था, इस्लाम का लक्ष्य राजनीति के जरिए राष्ट्र पर कब्जा करना है। हमारी आंखों के सामने 1947 में कब्जा कर लिया था। मैं नाथूराम गोडसे को सलाम करता हूं कि उन्होंने मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या की।  

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