सन 1908 में एक मजदूर आंदोलन के बाद ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का आइडिया क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया।
ट्रेंडिंग डेस्क. 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (international womens day) क्यों मनाया जाता है और ये मनाना कब शुरू हुआ? आखिर क्यों हर साल 8 मार्च का दिन महिला दिवस के रूप में चुना गया था। महिला दिवस मनाने का विचार एक महिला को ही आया था। उनका नाम था क्लारा जेटिकन (Clara Zetkin)। उन्होंने ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की थी। आइए जानते हैं उने बारे में।
कैसे हुई इस दिन की शुरूआत?
सन 1908 में एक मजदूर आंदोलन के बाद ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। महिलाओं ने न्यूयॉर्क में उनकी नौकरी के घंटे कम करने और साथ ही उनका वेतन बढ़ाने के लिए मांग रखी थी। महिलाओं की हड़ताल इतनी कामयाब रही कि वहां के सम्राट निकोलस को पद छोड़ना पड़ा और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया। महिलाओं के इस आंदोलन को सफलता मिली और एक साल बाद ही सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया।
8 मार्च को ही क्यों चुना गया?
साल 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान 28 फरवरी को रूस की महिलाओं ने ब्रेड एंड पीस की मांग की थी। ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था और उसी के बाद से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा। कई देशों में इस दिन महिलाओं के सम्मान में छु्ट्टी दी जाती है और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कैसे आया आइडिया
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का आइडिया क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया। उस कॉन्फ़्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थीं। उन सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया। सबसे पहले साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। 1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता उस वक्त दी गई थी जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया।
कौन हैं क्लारा जेटकिन
क्लारा जेटकिन का जन्म 5 जुलाई 1857 को जर्मनी में हुआ। सोशलिस्ट इंटरनेशनल के 1910 में हुए कोपेनहेगन सम्मेलन में जर्मन कम्युनिस्ट क्लारा जेटकिन के जोरदार प्रयासों से सम्मेलन ने महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप दिया और इस दिन सार्वजनिक अवकाश की मांग रखी।
उनके पिता गॉटफ्राइड ईस्नर एक स्कूल मास्टर थे और मां जोसफीन विटाले फ्रांसीसी मूल की उच्च शिक्षित महिला थीं। समाजवादी विचारों के प्रभाव में क्लारा पढ़ाई के दिनों में ही आ गईं थी। फिर 1878 में बिस्मार्क ने जर्मनी में समाजवादी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया तो ज़ेटकिन 1882 में ज्यूरिख आ गईं और फिर पेरिस। वहां उन्होंने एक पत्रकार और ट्रांसलेटर के रूप में काम किया। पेरिस में उन्होंने सोशलिस्ट इंटरनेशनल ग्रुप की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई।
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