डॉ. बनना चाहती हूं लेकिन सब्जियां बेचने को मजबूर, मेडिकल छात्रा ने कहा- आप सुनेंगे मेरी दुर्दशा की कहानी

हैदराबाद (Hyderabad) में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां आर्थिक तंगी के चलते मेडिकल के थर्ड ईयर की छात्रा (medical student) अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपनी मां के साथ सब्जी बेचने को मजबूर है।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2021 5:00 AM IST / Updated: Aug 14 2021, 10:45 AM IST

ट्रेंडिंग डेस्क : कहते हैं कि मजबूरी इंसान से क्या कुछ नहीं करवाती। लेकिन किसी भी बच्ची के लिए मजबूरी कभी भी ऐसे दिन नहीं लेकर आए, जहां उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर सब्जी बेचने का काम करना पड़े।  हैदराबाद में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां एक 22 साल की बच्ची डॉक्टर बनना चाहती हैं, लेकिन उसे सब्जियां बेचनी पड़ रही है। आर्थिक तंगी के चलते मेडिकल के थर्ड ईयर की छात्रा अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपनी मां के साथ सब्जी बेचने को मजबूर है। आइए आपको बताते हैं, इस बेटी की दुर्दशा की कहानी...

हैदराबाद की रहने वाली अनुषा किर्गिस्तान के एक मेडिकल स्कूल से एमबीबीएस के थर्ड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं। लेकिन परिवार के आर्थिक संकट के कारण वह अपनी फीस तक नहीं भर पा रही थी। घर वालों को स्थिति देख वह अपनी पढ़ाई छोड़कर अपनी मां के साथ हैदराबाद की सड़कों पर सब्जी बेचने को मजबूर है। वह बताती हैं कि, बचपन से ही उसने डॉक्टर बनने का सपना देखा था। लेकिन फीस ज्यादा होने के कारण उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन बाद में उसे पता चला कि तेलंगाना सरकार विदेश में पढ़ने के लिए योग्यता के आधार पर छात्रों की स्कॉलरशिप देने में मदद कर रही है। ऐसे में उसने इसके लिए अप्लाई किया और मैरिट में आकर स्कॉलरशिप के योग्य बनीं।

उसने कहा कि जैसे ही उसे किर्गिस्तान के एक मेडिकल स्कूल में प्रवेश मिला, उसने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया। कॉलेज में जाने के बाद ही उन्हें कॉलेज प्रशासन ने बताया कि तेलंगाना सरकार ने उन्हें स्कॉरशिप नहीं पहुंचाई है। जैसे-तैसे उसने अपनी पहले साल की पढ़ाई पूरी की, लेकिन उसे संबंधित अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने एमबीबीएस पांच साल के पाठ्यक्रम की छात्रवृत्ति रद्द कर दी है। इसके बाद उसके परिवार ने स्थानीय विधायकों से लेकर कई राजनीतिक नेताओं के ऑफिस और घर के चक्कर लगाए, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया।

बेटी का डॉक्टर बनने का सपना पूरे करने लिए मां ने अपने सोने के जेवर तक बेच दिया, लेकिन कहते है ना मजबूरी कड़े इम्तिहान लेती है। 3 साल तक किर्गिस्तान में रहकर पढ़ाई करने के बावजूद अब वह अपनी फीस भरने के लिए सक्षम नहीं है। कोरोना महामारी के चलते घर वालों के पास भी आमदनी का कोई रास्ता नहीं बचा। ऐसे में उसने पैसे कमाने के लिए अपनी मां के साथ सब्जियां बेचना शुरू कर दिया। उसने कहा कि 'वित्तीय संकट के कारण कॉलेज छोड़ने और अपनी पढ़ाई बंद करने के कगार पर हूं। मैं अभी भी सरकार से पढ़ाई में मदद करने का अनुरोध कर रही हूं, ताकि अपनी पढ़ाई जारी रख पाऊं और एक डॉक्टर बनूं और गरीबों और जरूरतमंदों की मदद कर सकूं।'

वहीं, अनुषा की मां सरला ने कहा, 'मैं एक अशिक्षित हूं और मैं लंबे समय से सब्जियां बेच रही हूं, लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे मेरे जैसे बनें। मैं चाहती हूं कि वे अपने सपनों को हासिल करें और कुछ बनें।' बता दें कि सरला भले ही सब्जी बेचती हैं, लेकिन अपने बेटी को उसने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलवाया। वहीं, उनका बेटा हैदराबाद में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स का कोर्स कर रहा है।

हालांकि, कोरोनाकाल में पूरा परिवार पाई-पाई को मोहताज हो गया है। अनुषा का भाई ऑनलाइन फूड डिलीवरी का काम कर अपनी कॉलेज फीस भर रहा है। वहीं, अनुषा के पिता एक अपार्टमेंट में चौकीदार के रूप में काम करते हैं। अपनी हालात से मजबूर सरला ने कहती है कि, 'यह मुझे दुखी और दिल टूटने का एहसास कराता है कि मेरी बेटी सिर्फ हमारी आर्थिक समस्याओं के कारण अपना कॉलेज छोड़ने की कगार पर है।' उन्होंने सरकार से अपनी बेटी की मदद करने की अपील की। ताकि, उसकी पढ़ाई पूरी हो सकें।

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