
हम दुकानों से बहुत-सी चीजें खरीदते हैं। ज़्यादातर सामान पर उसे बनाने वाली कंपनी की सारी जानकारी होती है। लेकिन हमारे देश में किसान की उगाई किसी भी चीज़ पर यह जानकारी नहीं होती कि उसे किसने उगाया है, और न ही उसे सही दाम मिलता है। कई बार तो किसान अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचते हैं या फिर निराश होकर सड़क पर फेंक देते हैं। लेकिन एक देश ऐसा भी है, जहां किसानों के उगाए फल-सब्जियों को अलग ही सम्मान मिलता है। जी हां, यहां फल-सब्जियों को पैकेट में बेचा जाता है और उस पैकेट पर किसान का नाम भी होता है।
जी हां, यह अनोखी प्रथा जापान में है। जापान कई वजहों से दुनिया को हमेशा आकर्षित करने वाला एक छोटा-सा देश है। वहां के लोगों का हर तौर-तरीका अपनाने लायक होता है। इसी तरह, जापान के कई हिस्सों में, फल और सब्जियों को ऐसे पैकेट में बेचा जाता है, जिन पर उन्हें उगाने वाले किसान की फोटो और संक्षिप्त जानकारी होती है। यह खासकर सुपरमार्केट, स्थानीय सहकारी समितियों और जापान कृषि सहकारी समितियों (JA) से जुड़े किसान बाजारों में आम है।
किसानों को सम्मान देने के लिए यह प्रक्रिया
किसानों के उत्पाद पर उनकी फोटो लगाने के पीछे का मकसद विश्वास, सम्मान और पारदर्शिता का है। जापानी ग्राहक यह जानने को बहुत महत्व देते हैं कि उनका खाना कहां से आया है। किसान का चेहरा और नाम देखने से उत्पाद की क्वालिटी और सुरक्षा में विश्वास बढ़ता है। यह किसानों की कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए तारीफ का एक संकेत भी है। जापान में खेती को बहुत सम्मान से देखा जाता है और यह छोटा-सा काम उत्पादकों और ग्राहकों के बीच एक मानवीय रिश्ता बनाता है।
इस प्रथा से चीजों को ट्रेस करना भी आसान हो जाता है। अगर उत्पाद में कोई समस्या आती है, तो उसके स्रोत का तुरंत पता लगाया जा सकता है। इससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है। इसके अलावा, यह फूड मार्केट को एक पर्सनल टच देता है, जिससे खरीदारों को लगता है कि वे जो खा रहे हैं, उससे ज्यादा जुड़े हुए हैं।
आप अक्सर देखेंगे कि यह तरीका स्ट्रॉबेरी, तरबूज और सेब जैसे हाई-क्वालिटी या खास उत्पादों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जहां प्रजेंटेशन और असलियत मायने रखती है। पारदर्शिता, विश्वास और कारीगरी के प्रति सम्मान का यह मेल जापानी खेती को दुनिया में सबसे प्रशंसित बनाने में मदद करता है। यह सोच-समझकर बनाई गई परंपरा रोजमर्रा की जिंदगी में जापान की ईमानदारी, कृतज्ञता और समुदाय पर सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को दर्शाती है। thepagez इंस्टाग्राम पेज पर इस बारे में पोस्ट किया गया है, जिस पर कई लोगों ने भारत में भी ऐसा ही नियम लागू करने की अपील की है।
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