ऑटो चलाने को मजबूर है नेशनल चैंपियन बॉक्सर, पूरा नहीं हो सका उनका एक ये बड़ा सपना

यूट्यूब पर 17 मिनट की एक वीडियो क्लिप शेयर की गई है, जिसमें वो अपने बारे में बताते नजर आ रहे हैं। आबिद खान एक प्रोफेशनल और ट्रेन्ड बॉक्सर रहे। उन्होंने पांच सालों तक आर्मी में कोच के तौर पर भी काम किया।

Asianet News Hindi | Published : Apr 15, 2021 1:32 PM IST

कभी-कभी जो आप चाहते हैं वो होता नहीं है और जो नहीं चाहते वही हो जाता है। क्योंकि वहां आपकी मेहनत नहीं बल्कि किस्मत का जोर चलता है। कुछ ऐसे ही एक कहानी पंजाब के बॉक्सर की सामने आई है, जिसने कभी बड़े सपने लेकर बॉक्सिंग की कोचिंग ली थी और नेशनल चैंपियन बना था, लेकिन तो जब उसकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था तो वो बॉक्सर बनता कैसे। कहीं नौकरी नहीं मिली इस वजह से परिवार का पेट पालने के लिए वो ऑटो चलाने और मार्केट में लोडिंग और अनलोडिंग करने के लिए मजबूर है। उस बॉक्सर का नाम आबिद खान है। आइए जानते हैं उनके बारे में...

यूट्यूब पर 17 मिनट की एक वीडियो क्लिप शेयर की गई है, जिसमें वो अपने बारे में बताते नजर आ रहे हैं। आबिद खान एक प्रोफेशनल और ट्रेन्ड बॉक्सर रहे। उन्होंने पांच सालों तक आर्मी में कोच के तौर पर भी काम किया। वो नेशनल इंस्टीट्यूट और स्पोर्ट्स , पटियाला (1988-89) तक पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट रहे थे। 

आर्थिक तंगी के कारण छोड़नी पड़ी बॉक्सिंग

लेकिन, किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था कि आबिद और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। वो बॉक्सिंग को करियर की हिस्सा नहीं बना पाए और उन्हें ऑटो ड्राइविंग करनी पड़ी। इतना ही नहीं उन्हें मार्केट में लोडिंग और अनलोडिंग का भी करना पड़ा। वीडियो में खान ने ये भी बताया कि कैसे उन्होंने एक बेहतर जॉब की तलाश की लेकिन मेहनत और काबिलियत की बदौलत उन्हें कोई काम नहीं मिला। 

बच्चों को भी किया स्पोर्ट्स ज्वॉइन करने से मना 

नेशनल बॉक्सर होने के साथ-साथ आबिद खान दो बच्चों के पिता भी हैं। उन्होंने अपनी स्थिति को देखते हुए अपने बच्चों को स्पोर्ट्स की ओर जाने से रोक दिया। खान को आज भी एक आशा है कि वो अपनी बॉक्सिंग की कोचिंग शुरू कर सकते हैं लेकिन पैसों को कमी के चलते वो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।    

आबिद खान का वीडियो कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहा है। लोग इस पर तरह-तरह के रिएक्शन्स दे रहे हैं। वहीं, कई उनकी हालत देखकर नाखुश हैं और दुख जता रहे हैं। कई तो उनकी मदद के लिए आगे भी आए हैं।

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