हिजाब पर मलाला का ढोंग आया सामने, किताब में किया था बुर्के का विरोध, अब कहा- भारतीय लड़कियों की आजादी मत छीनो

कर्नाटक में चल रहे हिजाब कंट्रोवर्सी (Hijab Controversy) में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता (Nobel Peace Prize Winner) और पाकिस्तानी कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) भी कूद पड़ी हैं। उन्होंने सोशल मीडिया (Social Media) पर इस प्रकरण को भयावह बताते हुए भारतीय नेताओं से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की है। वहीं, अपनी किताब आई एम मलाला (I Am Malala) में उन्होंने हिजाब और बुर्का पहनने पर अलग रुख अपनाया था, जिसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है। 

नई दिल्ली। कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनकर आने का मुद्दा अब इंटरनेशनल मुद्दा बन गया है। तमाम ग्लोबल शख्सियतों के बाद अब पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी इस पर अपनी आवाज बुलंद कर दी है। हालांकि, मलाला की ओर से इस विवाद में बोलने के बाद सोशल मीडिया समेत विभिन्न प्लेटफॉर्म पर उन्हें ट्रोल भी किया जा रहा है। 

मलाला यूसुफजई ने अपने ट्वीट में कहा है, स्कूलों में लड़कियों को हिजाब पहनकर प्रवेश देने से रोकना भयावह है। महिलाओं का उद्देश्य कम या ज्यादा बना रहता है। भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं के हाशिए पर जाने से उन्हें रोकना चाहिए। 

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भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने किया मलाला का विरोध 
वहीं, मलाला के इस पोस्ट का भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने विरोध किया है और उन्होंने भी इसके लिए ट्विटर का सहारा लिया है। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान में हिजाब नहीं पहनने पर मुस्लिम लड़कियों की हत्या की जा रही है। पाकिस्तान में सिर्फ हिंदू होने के कारण हिंदू और सिख लड़कियों की हत्या की जा रही है। उन्होंने वास्तविक मुद्दों पर कभी एक शब्द भी नहीं बोला। कपिल मिश्रा ने भी आरोप लगाया कि मलाला एक कट्टरपंथी इस्लामी जिहादी एजेंडा चला रही हैं। 

 

 

सिरसा ने भी मलाला को सुनाई खरी-खोटी 
वहीं, भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी हिजाब प्रकरण पर मलाला की ओर से किए गए ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें खरी-खोटी सुनाई है। सिरसा ने सवाल किया कि मलाला ने पाकिस्तान में नाबालिग हिंदू सिख लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों पर कभी बात क्यों नहीं की। अजीब है! मलाला ने पाकिस्तान में नाबालिग हिंदू सिख लड़कियों के जबरन धर्मांतरण जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर कभी बात नहीं की। मगर आज वह तथ्यों की पुष्टि किए बिना ट्वीट कर रही हैं। 

 

 

किताब में कहा था-मुझे इससे परेशानी होती है
दरअसल, पाकिस्तानी कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता भारत में हिजाब प्रकरण पर चल रहे विवाद को लेकर ट्वीट किया है। वहीं, सोशल मीडिया पर उन्हें इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाने के बाद ढोंगी करार दिया जा रहा है। सोशल मीडियापर यूजर्स ने उनकी किताब के कुछ अंश निकालकर पोस्ट किए हैं। उन्होंने अपनी किताब आई एम मलाला में हिजाब और बुर्का पहनने पर रोक लगाए जाने की मांग की थी। उन्होंने अपने पिता से इस बारे में जिक्र करते हुए कहा था कि इससे उन्हें काफी परेशानी होती है। वहीं, अब वे भारतीय मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने का समर्थन करती दिखाई दे रही हैं। 

 

 

क्या है हिजाब प्रकरण 
बता दें कि कर्नाटक के एक कॉलेज में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से मना कर दिया गया। मुस्लिम छात्राओं ने इसका विरोध किया। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता बताया। इसके बाद हिजाब के विरोध में हिंदू छात्र भगवा गमछा या शॉल पहनकर स्कूल आने लगे। इसके बाद यह विवाद और अधिक बढ़ गया है। मामला अब हाईकोर्ट में है। इस मामले को राजनीतिक रंग देने की भी कोशिश हो रही है। 

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