मांस खाते हैं तो हो जाइए सावधान ! खाने और घाव के जरिए शरीर में घुस रहा जानलेवा बैक्टीरिया

Published : Sep 14, 2023, 05:59 PM ISTUpdated : Sep 14, 2023, 06:00 PM IST
raw oyster

सार

विब्रियो वुल्निफिकस बताया है। यह एक समुद्री बैक्टीरिया है, जो खाने या घाव के जरिए किसी भी इंसान के शरीर में पहुंचकर उसे संक्रमित कर देता है। हेल्थ एक्सपर्ट इससे सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं।

ट्रेडिंग डेस्क : अगर आप मांस खाते हैं तो सावधान हो जाइए। खाने और घाव के जरिए एक खतरनाक बैक्टीरिया शरीर के अंदर तक पहुंच रहा है और मौत का कारण बन रहा है। यूएस के टेक्सास (Texas) में इसी से जुड़ा एक केस सामने आया है। जहां रेस्तरां में कच्ची सीप खाने से एक शख्स की मौत हो गई। अधिकारियों ने मौत का कारण विब्रियो वुल्निफिकस (Vibrio Vulnificus) बताया है। यह एक समुद्री बैक्टीरिया है, जो खाने या घाव के जरिए किसी भी इंसान के शरीर में पहुंचकर उसे संक्रमित कर देता है। विब्रियो वुल्निफिकस से सबसे ज्यादा खतरा कच्ची या अधपकी शेलफिश खाने वाले लोगों और खुले घाव के साथ समुद्री पानी में तैरने वालों को है। आइए जानते हैं पूरा मामला और इस समुद्री बैक्टीरिया के बारें में...

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थर्टीसमथिंग नाम के शख्स ने मंगलवार को एक रेस्टोरेंट में खाना खाया था। इसके दो दिन बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई।फ्लोरिडा अटलांटिक यूनिवर्सिटी के हालिया रिसर्च में पाया गया कि मांस खाने वाले लोगों को विब्रियो बैक्टीरिया से सबसे ज्यादा खतरा है। हाल ही में आए इडालिया साइक्लोन की वजह से बाढ़ का पानी दक्षिणी इलाकों में फैल गया है, जिससे बैक्टीरिया का खतरा बढ़ गया है। इस बात ने प्रशासन की नींद भी उड़ा दी है। वहीं, गैलवेस्टन काउंटी हेल्थ डिस्ट्रिक्ट के डॉ. फिलिप कीजर का कहना है कि 'मृतक कुछ दवाईयां खा रहा था। इससे उसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था। उसे लीवर की समस्या भी थी।'

पहले भी विब्रियो बैक्टीरिया ले चुका है जान

ऐसा पहली बार नहीं है जब विब्रियो बैक्टीरिया की वजह से किसी की मौत हुई है। इससे पहले इसी साल जुलाई में इस बैक्टीरिया ने कनेक्टिकट के दो लोगों की जान ले ली थी। एक की मौत पानी में खुले घाव होने से और दूसरे की कच्ची, दूषित सीप खाने से हुई थी।

कितना खतरनाक है विब्रियो बैक्टीरिया

विब्रियो किसी भी इंसान तक पहुंचने के बाद तेजी से सेप्सिस, ट्रामा और बड़े फफोले का कारण बन सकता है। यह शरीर के ऊतकों को नष्ट कर देता है। 24 घंटे के भीतर इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके लक्षणों में मतली, उल्टी, दस्त, चक्कर आना, भ्रम, बुखार, ठंड लगना, त्वचा का लाल हो जाना या दाने निकल आना, हार्ट बीट का तेज हो जाना और पानी भरे छाले हो जाना शामिल है।

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