यूक्रेन को मात देने के लिए रूस ने अपनाया जापान का तरीका, जानिए कितना खतरनाक है कैमिकेज अटैक

जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अपने दुश्मनों को एक बार में अधिक से अधिक संख्या में नुकसान पहुंचाने के लिए खास तकनीक अपनाई थी। यह था कैमिकेज अटैक और इसे अब रूस ने अपनाया है यूक्रेन से चल रही जंग में, मगर अपने नए अंदाज में। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 18, 2022 5:22 AM IST / Updated: Oct 18 2022, 11:46 AM IST

ट्रेंडिंग डेस्क। बीते आठ महीने से यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है। यूक्रेन की सेना ने रूस को हैरान कर रखा है और उसके सारे मंसूबे पर पानी फेरती जा रही है। इससे बौखलाए रूसी राष्ट्रपति हर बार कोई न कोई खतरनाक चाल चल रहे हैं। कभी वे यूक्रेन में और सेना भेजने की बात करते हैं, तो कभी अपने देश में युवाओं को सेना में भर्ती होने का आदेश निकालते हैं। हाल ही में उन्होंने परमाणु बम हमले का संकेत भी दे दिया, जिससे पूरे यूरोप में खलबली मची हुई है। 

इस बीच, रूस ने सोमवार को यूक्रेन की राजधानी कीव पर कैमिकोज ड्रोन से हमला किया। इस हमले में यूक्रेन की तमाम बिल्डिंगें एक झटके में ध्वस्त हो गईं। दुखद पहलू यह है कि इस हमले को रिहाइश इलाके में अंजाम दिया गया। यूक्रेन ने अभी जान और माल की क्षति का आकलन नहीं किया है। मगर दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञ इस हमले से हैरान हैं, क्योंकि रूस ने जिस कैमिकेज ड्रोन का इस्तेमाल किया है, वह उसकी खुद की नहीं बल्कि, जापान की तकनीक है। 

दरअसल, जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध में इस तकनीक का इस्तेमाल कियाा था। इसमें लड़ाकू विमान में बहुत सारे बम और गोला-बारुद भरे जाते थे और पायलट अपने विमान को उस जगह पर ले जाकर टकरा देता था, जहां दुश्मनों के अधिक होने का अंदेशा होता था। यह एक तरह से आत्मघाती हमला होता था, जिसमें माना जाता था कि अधिक से अधिक दुश्मनों को एक बार में मारने के लिए गोला-बारूद समेत पायलट और लड़ाकू विमान की आहूति दी जाती थी। 

वैसे रूस ने यूक्रेन पर जो कैमिकेज अटैक किया, उसमें तकनीक तो जापान की अपनाई, मगर इसे अपने नए तरीके से अंजाम दिया। इससे उसके लड़ाकू विमान नष्ट नहीं हुए और न ही पायलटों की जान गई। हां, 11 ड्रोन जरूर नष्ट हो गए, मगर यह बहुत छोटा नुकसान है रूस के लिए। दरअसल, रूस ने एक बार में 11 करियर ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए बहुत सा गोला-बारूद लादकर उसे यूक्रेन की उस रिहाइश बिल्डिंग में हिट कराया, जिसमें दुश्मनों के अधिक संख्या में हिट होने का अंदेशा था। हमले से पहले ड्रोन तब तक आसमान में चक्कर काटता रहा, जब तक कि उसका टारगेट लोकेट नहीं कर दिया गया। ऐसे में माना जा रहा है कि जो हमला किया गया, वह सटीक था और इसमें यूक्रेन को कुछ ज्यादा ही चोट पहुंची है। 

बता दें कि कैमिकेज ड्रोन मिसाइल से लैस होता है। यह आसमान में काफी समय तक उड़ सकता है और आसमान में एक जगह टिका भी रह सकता है। छोटा होने की वजह से शहरी इलाकों में अंदर तक जा सकता है। टारगेट की लोकेशन मिलने के बाद उस जगह को पूरी तरह ध्वस्त कर सकता है। छोटा और आवाज रहित होने से यह चोरी-छिपे कहीं भी चला जाता है और टारगेट को शिकार बना लेता है। टारगेट पर अटैक करने के बाद ये ड्रोन खुद को भी नष्ट कर लेते हैं। इस ड्रोन को लॉन्च करना काफी आसान है। यूक्रेन का दावा है कि ये ड्रोन रूस को ईरान ने उपलब्ध कराए हैं, क्योकि ये शाहेद ड्रोन हैं, जो कि सिर्फ ईरान के पास हैं। रूस ने इसमें कुछ अपनी तकनीक भी शामिल की है। 

शाहेद ड्रोन लड़ाकू विमानों की तरह हजारों किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं। इसके अलावा, कई घंटे तक आसमान में टिके रह सकते हैं। चूंकि, ईरान पहले इन ड्रोन को इस्तेमाल इजराइल पर कर चुका है और इजराइल इनसे बचने की तरकीब जानता है, ऐसे में यूक्रेन अब इस युद्ध में इजराइल की मदद मांगने की तैयारी कर रहा है, जिससे इन खतरनाक कैमिकेज ड्रोन अटैक से बचा जा सके। वरना.. इस कैमिकेज ड्रोन अटैक के जरिए रूस खुद को नुकसान पहुंचाए बिना यूक्रेन का बहुत बड़ा नुकसान करने वाला है। 

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