मोहम्मद अली जिन्ना पर संयुक्त भारत के दो टुकड़े कराने का भूत सवार था। दबाव बनाने के लिए जिन्ना ने बंगाल के नोआखाली जिले में मुसलमानों को उकसाया कि वे हिंदुओं का नरसंहार करें। दावा किया जाता है कि इसमें छह हजार से अधिक हिंदू मारे गए।
ट्रेंडिंग डेस्क। डायरेक्ट एक्शन डे यानी सीधी कार्रवाई का दिन, जिसे ग्रेट कलकत्ता किलिंग भी कहा जाता है। यह दिल दहलाने वाली घटना दरअसल एक नरसंहार थी, जो तीन दिन तक जारी रही। कोई नहीं जानता कि इस नरसंहार में कितने हिंदू मारे गए, मगर दावा किया जाता है कि इसमें 6 हजार हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस नरसंहार में 20 हजार लोग घायल हो गए, जबकि एक लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे। इसे 15 अगस्त 1946 को यानी आजादी से ठीक एक साल पहले अंजाम दिया गया।
दावा किया जाता है कि पश्चिम बंगाल के नोआखाली जिले में यह नरसंहार मोहम्मद अली जिन्ना के कहने पर हुआ था। तब यह इलाको मुस्लिम बहुल था और यहां जो मुसलमान रहते थे, वे करीब पचास साल पहले तक हिंदु थे, जो बाद में धर्म परिवर्तित कर मुसलमान बन गए। मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदुओं के बड़े पैमाने पर कत्लेआम की सूचना दुनिया को 15 दिन बाद पता चली। यानी पूरी घटना को बेहद सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया, जिससे हिंदुओं के बचाव की कोई गुंजाइश ही नहीं रहे। साथ ही, किसी का दखल भी न होने पाए।
जिन्ना की जिद्द में मारे गए हजारों लोग, लाखों बेघर और अनाथ हुए
यह नरसंहार मुस्लीम लीग का अभियान था, जिसे मोहम्मद अली जिन्ना के कहने पर अंजाम दिया गया। दरअसल, जिन्ना किसी भी सूरत में संयुक्त भारत के दो टुकड़े चाहते थे। वे दूसरे हिस्से को पाकिस्तान नाम देना चाहते थे। यह नरसंहार अपनी मांग को मनवाने का जिन्ना का एक तरीका था। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को उकसाया और गरीब अनपढ़ मुसलमान हाथों में हथियार लिए हिंदुओं को मारने मैदान में उतर गए। हिंदुओं को इसका आभास भी नहीं था कि जिनके साथ वे उठ-बैठ रहे थे, अब वे ही आकर उन्हें मारने वाले हैं।
जब तक महात्मा गांधी कोलकाता पहुंचते, बहुत देर हो चुकी थी
महात्मा गांधी को इस बारे में पता चला तो, वे इसे रोकने के लिए कोलकाता पहुंचे और अनशन शुरू कर दिया। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। करीब छह हिंदुओं को मौत के घाट उतारा जा चुका था। बहुत से लोग बेघर हुए। बहुत से बच्चे अनाथ हुए। कहा यह भी जाता है कि बहुत सारे लोगों को हुगली में फेंक दिया गया। बहुत से लोगों के हाथ-पैर बांधकर नाले में फेंक दिया गया, जिससे वे घुट-घुटकर मर गए। कई लोगों के हाथ-पैर बांधकर घरों में छोड़ दिया गया और बाहर से आग लगा दी गई, जिससे वे निकल ही नहीं पाए और तड़प-तड़पकर मर गए।
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