World Heritage Day 2023 : रानी की वाव से लेकर खजुराहो तक , विश्व धरोहरों में शामिल हैं भारत की ये 5 जगहें जहां जीवन में एक बार जाना तो बनता है

पूरे विश्व में मौजूद प्राचीन विरासतों व मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण व जागरुकता के लिए प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर देखें भारत की 5 ऐसी World Heritage Sites जहां एक बार जाना तो बनता है।

Piyush Singh Rajput | Published : Apr 18, 2023 4:52 AM IST / Updated: Apr 18 2023, 11:54 AM IST
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यूं तो भारत के लगभग 40 स्थान विश्व धरोहर में शामिल हैं। पर उनमें से सबसे खास है ‘रानी की वाव’। पूरी दुनिया में ये ऐसी इकलौती बावड़ी है जो World Heritage List में शामिल है। गुजरात के पाटण जिले में स्थित रानी की वाव को जल संरक्षण की प्राचीन परम्परा का अनूठा उदाहरण माना जाता है। माना जाता है कि इसका निर्माण सन् 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने कराया था। सरस्वती नदी के तट पर बनी 7 तलों की यह वाव 27 मीटर गहरी और 64 मीटर लंबी है। इस वाव के नीचे 30 किलोमीटर लम्बी एक रहस्यमयी सुरंग भी है जो पाटण के सिद्धपुर तक जाती है। यह बावड़ी इस बात का सबूत है कि प्राचीनकाल में भी भारत में जल प्रबंधन की व्यवस्था कितनी अनोखी थी।

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खजुराहो के मंदिर भारतीय प्राचीन कला का बेजोड़ नमूना हैं। चंदेल वंश द्वारा बनाए गए ये मंदिर 1986 में यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में शामिल हुए। यहां का कंदरिया महादेव मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। वहीं मंदिर की दीवारों पर मैथुन व काम क्रीड़ा में लिप्त मूर्तियों देखने को मिलती हैं, जो बाहरी दुनिया और मोह की ओर इशारा करती हैं। ये नक्काशी बताती है कि बाहरी दुनिया काम भोग व मोह से दूर नहीं है जबकि केंद्र अध्यात्म और मोक्ष होना चाहिए।

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अजंता-एलोरा गुफाओं को 1983 में World Heritage में शामिल किया गया था। कहा जाता है कि इसकी खोज एक ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ ने की थी। वह 1819 में यहां शिकार पर आए तभी उन्हें ये रहस्यमयी गुफाएं नजर आई थीं। अजंता की गुफाओं की ज्यादातर दीवारों पर बौद्ध धर्म से जुड़ी नक्काशी मिलती है, जबकि एलोरा की गुफाओं में हिंदू धर्म से जुड़ी वास्तुकला और मूर्तियां हैं। माना जाता है कि इनका निर्माण 4 हजार वर्ष पूर्व हुआ था।

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वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल कोणार्क सूर्य मंदिर काफी रहस्यमयी माना जाता है। सूर्य देव के रथ के रूप में बना ये मंदिर समय की गति को दिखाता है। रथ रूपी मंदिर के 12 जोड़ी पहिए बने हुए हैं, जिसे 7 घोड़े रथ खींचते हुए दिखते हैं और ये 7 घोड़े 7 दिन के प्रतीक हैं और वहीं 12 जोड़ी पहिए दिन के 24 घंटों को दर्शाते हैं।

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तमिलनाडु के प्राचीन शहर महाबलीपुरम में मौजूद महाबलीपुरम मंदिर 1984 में विश्व विरासत स्थलों में शामिल हुआ। यहां आप पल्लव काल की कलाकृतियां देखेंगे, इस मंदिर को देखने के लिए भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी आते हैं। महाबलीपुरम में कई और प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी अद्भुत कलाकृति आपको हैरान कर देगी।

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